पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर महीनों से चल रहे तनाव के बीच पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक मंच पर होंगे। दोनों नेता रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अध्यक्षता में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्रध्यक्षों की बैठक में शिरकत करेंगे। इसमें पाकिस्तानी पीएम इमरान खान भी भाग लेेंगे।

एलएसी पर हिंसक झड़पों और भारत-चीन की कई दौर की विफल सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं के बीच यह बैठक अहम मानी जा रही है। गलवां घाटी में चीनी सैनिकों से हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत के बाद दोनों देशाें में विवाद चरम पर है। शीर्ष कूटनीतिक स्तर पर दखल के बाद हालात सामान्य करने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तर पर कई बार वार्ता हुई लेकिन परिणाम ज्यादा सकारात्मक नहीं रहे।
कोरोना महामारी के चलते वर्चुअल तरीके से हो रही बैठक में एससीओ की मौजूदा गतिविधियों तथा 2025 तक संगठन के नीतियों के तहत होने वाले विकास नीति पर चर्चा होगी।
एससीओ देशों के राष्ट्रप्रमुखों की 20वीं बैठक में सदस्य देश क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकरोधी कार्रवाई, आर्थिक, मानवीय सहयोग महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर बात करेंगे। अफगानिस्तान और मध्य-पूर्व की स्थिति पर जोर रहेगा। सदस्य देश शिक्षा, विज्ञान, सांस्कृतिक और पर्यटन क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी बात करेें। इस दौरान 2021 को एससीओ देशों का सांस्कृतिक वर्ष घोषित किया जा सकता है।
पाकिस्तान ने सोमवार को घोषणा की कि प्रधानमंत्री इमरान खान मंगलवार को ऑनलाइन आयोजित होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि एससीओ के राष्ट्र प्रमुखों की परिषद के 20वें शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन करेंगे। एससीओ के सभी आठ सदस्यों के राष्ट्र प्रमुख और चार पर्यवेक्षक देश भी शामिल होंगे।
भारत, रूस, चीन, पाकिस्तान, कजाकस्तान, किर्गिजस्तान, तजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान हैं। ईरान, अफगानिस्तान, बेलारूस और मंगोलिया ऑब्जर्वर के रूप में संगठन से जुड़े हैं। वहीं, अर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की डॉयलॉग पार्टनर के रूप में एससीओ के सदस्य हैं।
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