वैज्ञानिकों का मानना है कि प्लूटो ग्रह पर जीवन का अस्तित्व संभव नहीं यह रहस्य आज भी बना हुआ है

प्लूटो का नाम तो आपने सुना ही होगा। दरअसल, साल 2006 से पहले इसे सौरमंडल के सभी ग्रहों में से सबसे छोटा ग्रह होने का दर्जा प्राप्त था, लेकिन 2006 के बाद इसे इस सूची से हटा दिया गया और इसे बौने ग्रहों की सूची में डाल दिया गया। प्लूटो ग्रह को ‘यम ग्रह या गृह’ भी कहा जाता है। आज हम आपको इस ग्रह की वो अजीबोगरीब और रहस्यमय बातें बताने जा रहे हैं, जिसे जानकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे।

18 फरवरी 1930 को खगोल विज्ञानी क्लीड डब्ल्यू. टॉमबॉघ ने प्लूटो को गलती से खोज लिया था। असल में वह ‘प्लैनेट एक्स’ नामक एक अज्ञात ग्रह की तलाश कर रहे थे, जो यूरेनस (अरुण ग्रह) और नेपच्यून (वरुण ग्रह) की कक्षाओं में गड़बड़ी पैदा कर रहा था।

प्लूटो ग्रह का नाम ऑक्सफॉर्ड स्कूल ऑफ लंदन में पढ़ने वाली एक 11वीं कक्षा की छात्रा वेनेशिया बर्ने ने रखा था। इस बच्ची का कहना था कि रोम में अंधेरे के देवता को प्लूटो कहा जाता है और इस ग्रह पर भी लगभग हमेशा अंधेरा ही रहता है, इसलिए इसका नाम प्लूटो रखा जाए। इस बच्ची को उस समय इनाम के तौर पांच पाउंड दिए गए थे, जो आज के हिसाब से करीब 472 रुपये होते हैं।

प्लूटो को सूर्य का एक चक्कर लगाने में 248 साल लग जाते हैं। यहां एक दिन पृथ्वी के मुकाबले 6.4 दिन का होता है यानी इस ग्रह का 24 घंटा लगभग 153 घंटे के बराबर होता है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक, प्लूटो ग्रह पर बर्फ के रूप में मौजूद है और इस पानी की मात्रा पृथ्वी के सभी महासागरों में आरक्षित पानी से लगभग तीन गुना अधिक है। इसके अलावा कहा जाता है कि इसकी सतह पर बड़े-बड़े गड्ढे भी हैं।

प्लूटो और सूर्य के बीच बहुत अधिक दूरी होने के कारण सूर्य की रोशनी को प्लूटो ग्रह तक पहुंचने में लगभग पांच घंटे लगते हैं, जबकि सूरज की रोशनी को पृथ्वी तक पहुंचने में आठ मिनट और 20 सेकेंड लगते हैं।

वैज्ञानिकों का मानना है कि प्लूटो ग्रह पर जीवन का अस्तित्व संभव नहीं है, क्योंकि यहां गर्मी बेहद ही कम है। इसकी सतह का तापमान अमूमन माइनस 233 से माइनस 223 डिग्री सेल्सियस बना रहता है, जो किसी भी इंसान को पल भर में जमा दे।

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