औरत माँ भी है , औरत बहन भी है और औरत हमारी पत्नी भी है औरत देवी भी है ,जिसकी हम पूजा करते है और जिसको हम अपने बुरे वक़्त मे याद करते है अपने संकटों को दूर करने के लिए औरत एक ही है मगर हमारी उस औरत को देखने का नजरिया बदल जाता है और वो ही नजर हमारे रिश्तो को नया नाम देती है और ये भी सच है इसी औरत से हमारी सृष्टि भी चलती है।

महिला के इस समाज में कई रूप होते है जिनके अनुसार हर महिला को चलना होता है। कई महिलाओं को इस रूप में भी आना होता है। इस दलदल में उतारी गई लड़कियों को हर रोज किसी भी पुरूष के साथ हमबिस्तर होना पड़ता है।
आज शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसने भारत में फैले इन रेड लाइट एरिया के बारे में न सुना हो। महाराष्ट्र और कर्नाटक के कई इलाकों में ‘देवदासी बेल्ट’ वेश्यावृत्ति से ही जुड़ा हुआ नाम है। साथ ही कोलकत्ता का सोनागाछी, मुंबई का कमाटीपुरा आदि भी इस काम के लिए जाने जाते है।
हमारा देश भी नारी प्रधान देश है जिस देश मे हम औरतो की पूजा करते है, मंदिर मे जाकर एक औरत , जो पत्थर की मूरत में है हम उसकी पूजा करते है और उसको कपडे पहनाते है। मगर दूसरी तरफ अगर वो ही औरत किसी कोठे पर मिल जाये तो चंद रुपया देकर उसके कपडे उतारने मे हम थोडी सी भी देर नहीं लगती क्यूकि उस वक़्त हमको पता होता है कि हम ने उस औरत के शरीर को भोगने की कीमत दी हुई है।
हम इस आधुनिक युग मे पैसो से कुछ भी खरीद सकते है मगर किसी की भावनाये ,प्यार और आत्मा नहीं खरीद सकते है। आज तक हर इन्सान ने किसी भी वेश्या का शरीर तो खरीदा होगा मगर उसका प्यार उसकी आत्मा उसके दर्द को बटने की कोशिश नहीं की होगी आखिर ऐसा क्यू जब हम नारी को देवी का दर्जा देते है तो एक वेश्या भी तो वो ही नारी है जिसको हम माँ,बहन ,और पत्नी के रूप मे देखते है।
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