अर्थसंकट और भुखमरी से जूझते वेनेजुएला में लोगों के सामने अब एक और समस्या खड़ी हो गई है। ये समस्या है ब्लैकआउट की। इस देश में 23 राज्यों में से 22 की बिजली कट गई है। जिसका असर 2.8 करोड़ लोगों पर पड़ रहा है। 3.3 करोड़ आबादी वाले इस देश के लोग काफी परेशानी का सामना कर रहे हैं।
यहां बिजली कटने के कारण कराकास शहर के हवाईअड्डे से गुरुवार को विमान नहीं उड़े, जिसके चलते बाहरी विमानों को भी डायवर्ट करना पड़ा। हालात इतने खराब थे कि 10 हजार लोगों को रातभर रुकने के बाद अगले दिन बस से घर लौटना पड़ा।
आपस में भिड़े नेता
ब्लैकआउट के कारण सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच वार पलटवार शुरू हो गया है। विपक्ष के नेता जुआन गुइदो पर राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने आरोप लगाते हुए कहा कि वह अमेरिका के कहने पर देश को अंधेरे में झोंक रहे हैं।
मादुरो के आरोप के जवाब में गुइदो ने कहा कि देश में उजाला मादुरो के सत्ता से हटने के बाद होगा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बिजली जाने की वजह बोलिवर राज्य के हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट का फेल होना है।
अमेरिका ने मादुरो को ठहराया जिम्मेदार
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने इस मामले में ट्वीट कर कहा कि वेनेजुएला में हो रही तबाही का कारण अमेरिका नहीं है। उन्होंने कहा कि इस तबाही का कारण कोलंबिया, एक्वाडोर, ब्राजील या यूरोप का कोई देश भी नहीं हैं। देश में बिजली संकट और भुखमरी मादुरो की सत्ता के कारण है।
2016 में 60 दिन अंधेरे में रहे लोग
वेनेजुएला में ब्लैकआउट होना कोई नई बात नहीं है। साल 2007 में पावर ग्रिड का राष्ट्रीयकरण किया गया था। तभी से सरकारें राजनीतिक संकट के दौर में ब्लैकआउट करती रहती हैं। हालांकि इसकी जिम्मेदारी सरकार ने कभी नहीं ली है।
इससे पहले 2016 में सबसे अधिक 60 दिनों तक ब्लैकआउट किया गया था। तत्कालीन सरकार ने इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा था कि चूहे और बिल्ली हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट को नुकसान पहुंचा रहे हैं। जिसके कारण सरकार रोज 6-6 घंटे बिजली काट रही है।