NEW DELHI: अर्जेटीना के दिग्गज फुटबाल खिलाड़ी डिएगो माराडोना ने वीडियो असिस्टेंट रेफरी सिस्टम (वीआरए) की वकालत की है।साथ ही यह भी माना है कि अगर यह तकनीक रही होती तो उनके द्वारा 1986 के विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ किए गए मशहूर गोल को गोल नहीं माना जाता। विश्व फुटबाल की नियामक संस्था फीफा की वेबसाइट ने मंगलवार को माराडोना के हवाले से लिखा है, “फुटबाल पीछे नहीं रह सकता। इस बात को ध्यान में रखते हुए कि तकनीक आगे जा रही है और हर खेल इसको अपना रहा है, ऐसे में हम कैसे इस फुटबाल में नहीं लाने के बारे में सोच सकते हैं?” माराडोना ने कहा, “लोगों को गुस्सा आता है जब जो फैसला नहीं दिया जाना था, दिया जाता है और जब आपका गोल गलत तरीके से नामंजूर हो जाता है। तकनीक पारदर्शिता लाती है और उन टीमों को सकारात्मकता प्रदान करती है जो आक्रामक खेलते हुए जोखिम लेना चाहती हैं।”
समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, फीफा ने अपने कई टूर्नामेंट में वीएआर तकनीक का उपयोग किया है, जिसमें हाल ही में हुआ कंफेडेरेशन कप शामिल है। माराडोना ने साफ मान लिया कि 1986 विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में उनका ‘हैंड ऑफ गॉड’ गोल गिना ही नहीं जाता, अगर यह तकनीक उस समय लागू रही होती।
लेकिन, 1990 विश्व कप में हुए एक मैच में भी चीजें बदल जातीं। माराडोना ने कहा, “मेरा मानना है कि अगर यह तकनीक होती तो वह गोल नहीं होता। मैं आपको एक और बात बताता हूं, 1990 मैंने सोवियत संघ के खिलाफ गेंद को लाइन के पार करने के लिए अपने हाथ का उपयोग किया था।”
उन्होंने कहा, “हम भाग्यशाली थे क्योंकि रेफरी ने इसे देखा नहीं था। तब आप तकनीक का इस्तेमाल नहीं कर सकते थे, लेकिन आज कहानी अलग होगी।”