भारत ने साउथैंप्टन में ज्यादातर चीजें सही कीं और वह चौथे टेस्ट जीतने के बाद सीरीज को बराबरी पर लाने में भी दिखे। लेकिन, यह इंग्लैंड की टीम रही जिसने सही मौकों को भुनाया। चार दिन में मिली 60 रन की जीत से उन्हें सीरीज में 3-1 की विजयी बढ़त मिल गई है। वहीं, भारत ने विदेश में अपनी दूसरी सीरीज गंवाई। यह बेशक एक टीम के लिए बेहद खराब है, जो घर के साथ ही विदेश में भी सफल होना चाहती है।
भारतीय गेंदबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने इंग्लैंड को चौथे टेस्ट की दोनों ही पारियों में बांधे रखा। इंग्लैंड के पास निचले क्रम में गजब की क्षमता थी। यहीं से पहले उन्होंने 86 रन पर छह विकेट से आगे बढ़ते हुए पहली पारी में 246 और दूसरी पारी में 92 रन पर चार विकेट से आगे निकलते हुए 271 रन का स्कोर खड़ा किया। ऐसा सिर्फ यहीं नहीं हुआ, इससे पहले बर्मिघम में भी हुआ जहां सैम कुर्रन ने कुछ आक्रामक रन बनाए। इसके बाद लॉडर्स में भी ऐसा हुआ। कुर्रन का तोड़ नहीं निकाल पाना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह एक ऐसी चीज है जिस पर भारतीय थिंक टैंक को सोचने की जरूरत है, क्योंकि चैंपियन की खासियत होती है कि वह अपनी गलतियां दोहराते नहीं हैं।
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