भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट ने 18वें एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा. ऐसा कारनामा करने वाली वो भारत की पहली महिला पहलवान बनीं. इससे पहले उन्होंने 2014 इंचियोन एशियन गेम्स में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था. लेकिन इस बार न सिर्फ उन्होनें अपने पदक का रंग बदला, बल्कि दुनिया को अपने होने का एहसास भी कराया.
मुश्किलों से भरा जीवन
बचपन से लेकर एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने तक का सफर विनेश के लिए कभी आसान नहीं रहा. उन्होंने न सिर्फ अपनी निजी जिंदगी की कठिनाइयों को पार किया, बल्कि मजबूत हौसले के साथ आगे बढ़ती रहीं. महज दस साल की उम्र में ही जमीन विवाद के चलते उनके पिता राजपाल का मर्डर हो गया था. जो उनके जीवन की सबसे बड़ी दुखद घटना थी. लेकिन विनेश के जीवन से ताऊ महावीर फोगाट ने इस खालीपन को भरने की कोशिश शुरू की. उन्होंने विनेश को पहलवानी के गुर सिखाने शुरू किए. ताऊ महावीर और विनेश की मेहनत रंग लाई और वो देश की अंतरराष्ट्रीय पहलवान बन गईं.
चोट ने किया परेशान
2020 टोक्यो ओलंपिक पर नजर
23 साल की विनेश ने अब तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश को कई पदक दिलाए हैं. 2014 और 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता. इंचियोन एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया. इस बार उन पर पदक के रंग बदलने का दबाव था. जिसे उन्होंने आसनी से हासिल किया. इसके अलावा एशियन चैंपियनशिप में विनेश तीन सिल्वर और दो ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर चुकी हैं.