विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा- भारत, अमेरिका के रिश्ते बहुत मजबूत हर बाधा कर सकते हैं दूर

भारत-अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों को लेकर जारी चिंता के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि दोनों देशों के संबंध बहुत मजबूत हैं और हम किसी भी बाधा को दूर कर सकते हैं। सोमवार को भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी मंच के कार्यक्रम में विदेश मंत्री ने कहा, अमेरिका ने व्यापारिक मुद्दे को अपनी विदेश नीति का केंद्र बिंदु बना दिया है।

इसके चलते कुछ विषय जरूर खड़े हो गए हैं, लेकिन बातचीत के जरिये उनका समाधान कर लिया जाएगा। दोनों देशों के बीच रिश्ते बहुत मजबूत हैं। इसकी तस्दीक दोनों देशों में हो रहे व्यापार, वीजा स्वीकृति सहित अन्य आंकड़े खुद कर रहे हैं।

जयशंकर ने कहा, मुझे नहीं लगता ऐसी कोई समस्या है जिसका समाधान बातचीत से न हो सके। विदेश मंत्री की यह टिप्पणी ऐसे वक्त पर आई है जब दोनों देश मुद्दों को सुलझाकर आपसी व्यापार को बढ़ावा देने के लिए बातचीत कर रहे हैं।

व्यापार-विदेशी निवेश बढ़ा, व्यापार घाटा कम हुआ

2018-19 में भारत से अमेरिका को निर्यात 52.4 अरब डॉलर था, जबकि आयात 35.5 अरब डॉलर था। 2017-18 में व्यापार घाटा 21.3 अरब डॉलर था जो कि इस वित्तवर्ष में घटकर 16.9 अरब डॉलर रह गया। विदेशी निवेश की बात करें तो 2018-19 में अमेरिका से 3.13 अरब डॉलर का निवेश हुआ। जबकि 2017-18 में यह आंकड़ा दो अरब डॉलर था।

भारत-चीन का भविष्य उज्ज्वल

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन का अतीत कठिन रहा है, लेकिन दोनों देशों का भविष्य उज्ज्वल है। दोनों देशों के जटिल द्विपक्षीय मुद्दों का हल निकालना संभव है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की हाल की अनौपचारिक वार्ता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं ने स्पष्ट, खुले दिल और बेबाकी से बातचीत की, यह महत्वपूर्ण है। यदि आप एक-दूसरे से खुलकर बात नहीं कर सकते हैं तो आप सही दिशा में आगे नहीं बढ़ सकते। यह दोनों देशों के मजबूत रिश्तों की बुनियाद है।

अंग्रेजी मीडिया ने 370 की निष्पक्ष तस्वीर नहीं दिखाई

उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद जब मैं अमेरिका गया तो पाया कि अंग्रेजी बोलने वाले उदारवादी मीडिया ने इस बारे में पूर्वधारणा बना रखी थी और उसने इसकी निष्पक्ष तस्वीर नहीं दिखाई। विदेश मंत्री ने फिर दोहराया कि अनुच्छेद 370 हटाना पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला था। इस बारे में हमारे पड़ोसी देश ने दुनियाभर में गलतफहमी फैलाई और लोगों की धारणा बदलने की कोशिश की।

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