बैठक में कृषि विशेषज्ञों और संगठनों ने सुझाव दिया कि बजट में सरकार को किसानों की आय बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। इसमें टैक्स छूट पर राहत के साथ खाद्य प्रसंस्करण और कृषि उत्पादों के निर्यात पर ध्यान देना चाहिए। सिर्फ कृषि उत्पादन बढ़ाकर किसानों की आय में इजाफा नहीं किया जा सकता है। किसानों को पशुपालन, मत्स्य पालन और मुर्गी पालन जैसे क्षेत्रों की ओर बढ़ाना देना होगा। विशेषज्ञों ने कई उत्पादों पर जीएसटी में छूट की भी मांग की, खासकर दुग्ध उत्पादों पर कर की दर 5 फीसदी किए जाने पर जोर दिया। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने बताया कि बैठक के दौरान प्रतिनिधियों ने खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया। किसानों के संगठन भारत किसान समाज के चेयरमैन अजयवीर जाखड़ ने कहा कि हमारी प्राथमिकता कृषि क्षेत्र में लंबी अवधि का निवेश बढ़ाने की है।
वित्त मंत्री ने की चर्चा, बजट 2019: किसानों को मिल सकती हैं और रियायतें…
अगले महीने पेश होने वाले बजट को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। उन्होंने मंगलवार को कृषि और ग्रामीण विकास के प्रतिनिधियों के साथ बजट पूर्व परामर्श बैठक की। इसमें किसानों के लिए कर्ज, छूट, उर्वरकों पर टैक्स सहित कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई। विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों के साथ यह बैठक 23 जून तक चलेगी।
उद्योग संगठन सीआईआई का कहना है कि सरकार बजट में सभी छूट खत्म कर कॉरपोरेट टैक्स घटाकर 18 फीसदी लाए। इससे खजाने पर ज्यादा असर भी नहीं पड़ेगा। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में कॉरपोरेट टैक्स को 30 फीसदी से 25 फीसदी लाने का वादा किया गया था और 250 करोड़ तक सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए इसे लागू भी कर दिया गया है। सीआईआई के अध्यक्ष विक्रम किर्लोस्कर ने कहा कि हम सभी छूट को समाप्त कर कॉरपोरेट टैक्स 18 फीसदी लाने के पक्ष में हैं।