सीबीआइ की विशेष अदालत ने भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ चल रहे करोड़ों रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले की जांच में मदद के लिए अमेरिका को अनुरोध पत्र (एलओआर) जारी किया है। मामले की जांच कर रही सीबीआइ ने इस बाबत एक आवेदन दाखिल किया था। इसी का संज्ञान लेते हुए विशेष न्यायाधीश जयेंद्र सी जगदाले ने सोमवार को एलओआर जारी किया।

अदालत को दिए अपने आवेदन में सीबीआइ ने कहा है कि उसे अमेरिका से कुछ नए सुबूतों की आवश्यकता है। यही नहीं, उसे मिल चुके कुछ सुबूतों के इस्तेमाल के लिए अमेरिका के अटॉर्नी जनरल की अनुमति भी चाहिए। उसने अदालत को बताया कि जांच के दौरान पता चला है कि आइडीबीआइ और भारतीय स्टेट बैंक से ऋण प्राप्त करने के बाद मंजूर की गई राशि का दूसरे जगह इस्तेमाल किया गया। उदाहरण देते हुए कहा कि आइडीबीआइ बैंक से लिए गए ऋण में से 263.08 करोड़ रुपये की राशि टीडीएस के भुगतान लिए इस्तेमाल की गई।
माल्या के खिलाफ आइडीबीआइ बैंक से धोखाधड़ी से संबंधित यह मामला नौ सौ करोड़ रुपये से अधिक का है। वहीं अन्य बैंकों से धोखाधड़ी से संबंधित दूसरा मामला नौ हजार करोड़ से अधिक का है। जांच एजेंसी के आग्रह पर न्यायाधीश जगदाले ने वाशिंगटन डीसी के अटार्नी जनरल को अनुरोध पत्र जारी किया। एलओआर एक औपचारिक पत्र व्यवहार है जो एक अदालत द्वारा किसी विदेशी अदालत से ऐसे मामलों में किया जाता है, जिनमें जांच और न्यायिक कार्यवाही लंबित होती है।
बता दें कि विजय माल्या ने बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस कंपनी के लिए बैंकों से नौ हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया था, लेकिन कर्ज चुकाए बिना ही लंदन भाग गया। लंदन में उसके प्रत्यर्पण के लिए केस चल रहा है। फिलहाल प्रत्यर्पण के मामले में माल्या के सामने सभी कानूनी रास्ते बंद हो चुके हैं। ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की उसकी याचिका मई में खारिज कर दी गई थी। अभी उसके प्रत्यर्पण को लेकर अनिश्चितता कायम है, क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने माल्या की तरफ से शरण मांगने संबंधी आवेदन को लेकर कोई स्थिति स्पष्ट नहीं की है।
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