NEW DELHI: अगर करना है कष्टों को दूर तो मकर संक्रांति के दिन राशियों के हिसाब से करे वास्तु के अनुसार घर का रंग होने से सुख समृद्धि आती है। घर का रंग हमारे अंतर्मन और विचारों को निश्चित रूप से प्रभावित करता है।अभी-अभी: वाराणसी पहुंचे सीएम योगी, समर्थकों ने लगाए जय श्रीराम के नारे
जिस प्रकार घर बनाने में पांच तत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि,वायु और आकाश का समावेश होता है उसी प्रकार जिस शरीर को हम सब धारण किये हुए है वह भी पंचतत्त्व से निर्मित है यही कारण है की यदि घर में वास्तु दोष होता है तब उस घर में रहने वाले घर के स्वामी और सदस्यों के ऊपर विपरीत प्रभाव होता है और अनेक प्रकार के कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
घर का रंग कैसे हमें प्रभावित करता है वास्तु शास्त्र के अनुसार हमारे घर की प्रत्येक वस्तु हमें प्रभावित करती है उसी प्रकार घर की दीवारों का रंग भी हमारे अन्तःचेतना, स्वभाव तथा कार्यप्रणाली को पूर्णरूपेण प्रभावित करता है। सामान्यतः रंग को देखते ही हमारे अंदर रंग के अनुरूप कुछ कुछ होने लगता है।
जैसे – सफेद रंग को देखते ही मन को शान्ति मिलती है वही लाल रंग को देखकर मन में उतावलापन बढ़ जाता है और यदि लाल रंग का प्रयोग आपने अपने शयन कक्ष किया है तो आपको अपने बीवी से अकारण क्लेश होना स्वाभाविक है।घर या अपार्टमेंट के इंटीरियर ( आंतरिक सज्जा ) में रंग का सही इस्तेमाल करके अपने व्यक्तिगत तथा पारिवारिक जीवन में आने वाली समस्याओं से शीघ्र ही मुक्ति मिल सकती है।
आप अपने घर में वास्तु शास्त्र के अनुसार निर्धारित रंग का प्रयोग करते है तो अवश्य ही कुछ हद तक आपकी जिन्दंगी में खुशियों का रंग भर जाएगा।
रंग तथा उसके मुख्य गुण
रंग प्रधान गुण
बैंगनी रज-तम
नीला सत्त्व
पीला सत्त्व
आसमानी सत्त्व
गुलाबी सत्त्व
भगवा सत्त्व-रज
लाल रज
जामुनी तम-रज
भूरा तम
धूसर (ग्रे) तम
काला तम
हरा सत्त्व-रज
वास्तु के अनुरूप कहां कैसे रंग करें
घर का वातावरण ही हमारे मन और विचारों को प्रभावित करता है। जैसा हमारे घर का वातावरण होगा वैसे ही हमारे विचार होंगे। कई घरों में लड़ाई-झगड़े, क्लेश आदि होता है, कई बार इन समस्याओं की वजह वास्तुदोष भी होता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की हर वस्तु हमें पूरी तरह प्रभावित करती है। घर की दीवारों का रंग भी हमारे विचारों और कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है। हमारे घर का जैसा रंग होता है, उसी रंग के स्वभाव जैसा हमारा स्वभाव भी हो जाता है। इसी वजह से घर की दीवारों पर वास्तु के अनुसार बताए गए रंग ही रखना चाहिए।
रंगों का प्रभाव जीवन यात्रा में आने वाले सभी रिश्तों पर पड़ता है चाहे वह पारिवारिक या कार्मिक रिश्ता हो प्रभाव तो अवश्य पड़ेगा इसलिए रंगो का चयन अवश्य ही करना चाहिए। जैसे हरा रंग विकास का सूचक है।
जाने ! आपके घर का रंग कैसा होना चाहिए बैठक कक्ष , मेहमान का कमरा या स्वागत कक्ष हमारे घर का बहुत ही महत्त्वपूर्ण कमरा होता है यह वह स्थान है जहां घर के सभी सदस्य एक साथ बैठते है तथा अतिथि भी जब घर में आते है तो सबसे पहले इसी कक्ष में उनका स्वागत होता है। अतः ड्राइंग रूम में ऐसे रंगों का प्रयोग करे जो आपके इंटीरियर में चार चांद लगा दे।
अपने बैठक कक्ष में सफेद, गुलाबी, पीला, क्रीम या हल्का भूरा रंग तथा हल्का नीला का प्रयोग करना चाहिए।
शयन कक्ष की दीवारों पर गहरे और आँखों को चुभने वाले रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस कक्ष में हल्के तथा वैसे रंग का प्रयोग करे जो आपके मन को शांति व सौम्यता प्रदान करने वाला हो।
शयन कक्ष की दीवारों पर आसमानी, हल्का गुलाबी, हल्का हरा तथा क्रीम रंग का प्रयोग करवाना चाहिए।
भोजन के कमरा का बहुत ही महत्त्व होता है क्योकि यह वह स्थान होता है जहां पर घर के प्रत्येक सदस्य एक साथ बैठकर भोजन करते है। भोजन के दौरान कई बार बहुत ही महत्त्वपूर्ण निर्णय भी ले लिया जाता है अतः इस स्थान पर वैसे रंग का प्रयोग किया जाए जो घर के सभी सदस्यों को जोड़ने तथा कोई भी निर्णय लेने में सहायक हो।भोजन के कमरा में हल्का हरा, गुलाबी, आसमानी या पीला रंग शुभ फल देता है।
रसोईघर
वास्तु शास्त्र में दक्षिण पूर्व दिशा जिसे आग्नेय कोण भी कहा जाता है में रसोई घर बनाना चाहिए। इस दिशा का स्वामी ग्रह शुक्र है तथा देवता अग्नि ( आग ) है। अपने रसोईघर में सकारत्मक ऊर्जा के प्रवाह के लिए हमें शुक्र ग्रह से सम्बन्धित रंग का ही प्रयोग करना चाहिए। रसोईघर के लिए सबसे शुभ रंग सफेद अथवा क्रीम होता है। यदि रसोईघर में वास्तु दोष है तो रसोईघर के आग्नेय कोण में लाल रंग का भी प्रयोग कर सकते है।
अध्ययन कक्ष
अपने घर में पूर्व तथा दक्षिण पश्चिम दिशा अध्ययन कक्ष के लिए सबसे अच्छा होता है। अध्ययन कक्ष के लिए हलके रंग का प्रयोग करना बेहतर होता है। अध्ययन कक्ष के लिए क्रीम कलर, हल्का जामुनी, हल्का हरा या गुलाबी, आसमानी या पीला रंग का प्रयोग करना अच्छा होता है।
स्नानघर एवं शौचालय
स्नानघर एवं शौचालय में सफेद, गुलाबी या हल्का पीला या हल्का आसमानी रंग का प्रयोग करने से मन को शकुन मिलता है। हमारी छतें प्रकाश को परावर्तित कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं इस कारण से इस स्थान पर ऐसे रंग का प्रयोग करना चाहिए जो परावर्तन में सहायक हो। छत के लिए सबसे उपयुक्त रंग है सफेद अथवा क्रीम।