द्रौपदी अपने पिछले जन्म में इन्द्र्सेना नाम के ऋषि की पत्नी थी। उसके पति निधन जल्दी ही हो गया था। इच्छाओं की पूर्ति की लिए उसने भगवान शिव से प्रार्थना की। भगवान शिव जब उसके सामने प्रकट हुए तो वह घबरा गई और उसने 5 बार अपने लिए वर मांगा। भगवान शिव ने अगले जन्म में उसे पांच पति दिए।
मुंह मांगी मुराद होगी पूरी, अगर आज ऐसे करें साईं बाबा का व्रतशकुनि ही था कौरवों के विनाश का कारण
एक साधु के कहे अनुसार गांधारी का विवाह पहले एक बकरे के साथ किया गया था। बाद में उस बकरे की बलि दे दी गई थी। यह बात गांधारी के विवाह के समय छिपाई गई थी। जब ध्रतराष्ट्र को इस बात का पता चला तो उसने गांधार नरेश सुबाला और उसके 100 पुत्रों को कारागार में डाल दिया और काफी यातनाएं दीं खाने के लिए उन्हें सिर्फ एक मुट्ठी चावल दिए जाते थे। एक-एक करके सुबाला के पुत्र मरने लगे।
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सुबाला ने अपने सबसे छोटे बेटे शकुनि को प्रतिशोध के लिए तैयार किया। रणनीति के तहत सब लोग अपने हिस्से के चावल शकुनि को दे देते थे ताकि वह जीवित रह सके। मृत्यु से पूर्व सुबाला ने ध्रतराष्ट्र से शकुनि को छोड़ने की विनती की जो ध्रतराष्ट्र ने मान ली। सुबाला ने शकुनि को अपनी रीढ़ की हड्डी के पासे बनाने के लिये कहा। वही पासे कौरव वंश के नाश का कारण बने। शकुनि ने हस्तिनापुर में सबका विश्वास जीता और 100 कौरवों का अभिवावक बना। उसने न केवल दुर्योधन को युधिष्ठिर के खिलाफ भड़काया बल्कि महाभारत के युद्ध का आधार भी बनाया।