मकर संक्रान्ति के एक दिन पहले लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार भारत के पंजाब प्रांत में विशेष रूप में मनाया जाता है। हर साल 13 जनवरी को लोहड़ी सर्दी कम होने और फसलों के तैयार हो जाने की खुशी के रूप में मनाया जाता है लेकिन भगवान श्री कृष्ण और शिव जी से भी इस त्योहार का संबंध है।
ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण के समय से ही लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है। इस विषय में एक कथा है कि भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद कंश ने श्री कृष्ण को मारने की बहुत कोशिश की और इसके लिए उसने कई असुरों और राक्षसों को गोकुल भेजा। इस क्रम में कंश ने एक लोहिता नाम की राक्षसी को गोकुल भेजा था।
जब लोहिता गोकुल आई तब सभी गांव वाले मकर संक्रांति की तैयारी में व्यस्त थे क्योंकि अगले दिन मकर संक्रांति का त्योहार था। मौके का लाभ उठाकर लोहिता ने श्री कृष्ण को मारने का प्रयास किया लेकिन श्री कृष्ण ने खेल ही खेल में लोहिता का वध कर दिया।
लोहड़ी का पर्व भगवान शिव और सती से भी जुड़ी है। मान्यता के अनुसार दक्ष प्रजापति की बेटी सती के आग में समर्पित होने के कारण यह त्योहार मनाया जाता है।लोहड़ी के त्योहार के अवसर पर जगह-जगह अलाव जलाकर उसके आसपास भांगड़ा-गिद्धा किया जाता है।
पंजाब में लोहड़ी का त्योहार दुल्ला भट्टी के याद में भी मनाने की परंपरा है। दुल्ला भट्टी पंजाब में मुगल शासक अकबर के समय में रहता था जो विद्रोही स्वभाव का था। अकबर के समय लड़कियों को गुलाम बनाया जाता था। दुल्ला भट्टी ने एक योजना के तहत लड़कियों को न केवल छुड़ाया बल्कि उनकी शादी की सारी व्यवस्था भी की थी, इसलिए पंजाब में लोहड़ी मनाया जाता है।
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