खुदरा महंगाई दर के नियंत्रण में रहने और जीडीपी विकास दर की बढ़ती गति को देखते हुए आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
8 दिसंबर को आएगा फैसला
यानी कि फिलहाल लोन के किस्त में अगर राहत नहीं मिलेगी तो यह बढ़ने भी नहीं जा रहा है। बुधवार को आरबीआई की एमपीसी की बैठक शुरू हो गई और आगामी आठ दिसंबर को आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास एमपीसी की बैठक के फैसले की घोषणा करेंगे।
आम तौर पर रेपो रेट में बढ़ोतरी से बैंक लोन की ब्याज दर बढ़ा देते हैं और रेपो रेट कम होने पर बैंक ब्याज दर कम कर देते हैं।
क्या है रेपो रेट
रेपो रेट वह रेट है जिस पर आरबीआई बैंकों को लोन देता है। नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ अर्थशास्त्री राजीव कुमार ने बताया कि भारत की विकास दर काफी अच्छी है।
दूसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर 7.6 प्रतिशत रही। कोर महंगाई नीचे आई है और कुल महंगाई दर भी सीमित दायरे में रहने वाली है।
इसलिए एमपीसी को रेपो रेट या अन्य दरों में बदलाव करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि भुगतान संतुलन चिंता की बात है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में इस साल कमी आई है और आयात बढ़ने से व्यापार घाटा भी बढ़ा है। इसलिए एमपीसी निर्यात प्रोत्साहन के लिए कदम उठाने पर ध्यान दे सकती है।
स्थिर रह सकता है रेपो रेट
- नाइट फ्रैंक इंडिया के सीएमडी शिशिर बैजल ने रेपो रेट के स्थिर रहने की संभावना जताते हुए कहा कि आर्थिक विकास रियल एस्टेट सेक्टर सीधे तौर पर जुड़ा है।
- अभी बैंक दर में बढ़ोतरी का फैसला सीधे तौर पर रियल एस्टेट सेक्टर को प्रभावित करेगा। बैंक दर बढ़ने से लोन की ब्याज दरों में बढ़ोतरी होगी जिससे सस्ते मकान की मांग प्रभावित हो जाएगी।
- इस समय छोटे व सस्ते मकान की मांग तेज है। इसे देखते हुए एमपीसी बैंक दर में कोई ब दलाव नहीं करेगा। इस साल फरवरी के बाद रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। फिलहाल रेपो रेट 6.5 प्रतिशत है।
- पिछले साल महंगाई दर में हो रही लगातार बढ़ोतरी को देखते हुए वर्ष 2022 के मई से लेकर इस साल फरवरी तक आरबीआई की एमपीसी ने रेपो रेट में 2.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की।
- इस साल अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर 4.87 प्रतिशत तो सितंबर में 5.02 प्रतिशत रही जो महंगाई दर के लिए आरबीआइ की तरफ से तय छह प्रतिशत की अधिकतम सीमा से कम है।