बैंक ब्रांचों और एटीएम से नकदी की निकासी के मामले में वित्त वर्ष 2021 में अब तक काफी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। प्रचलन में आने वाली मुद्रा में 21 फीसद की दर से वृद्धि हुई है, जो कि एक दशक का उच्च स्तर है। आरबीआई के आंकड़ों से यह जानकारी पता लगी है।

लेकिन अर्थव्यवस्थआ में नकदी का स्तर अर्थव्यवस्था के साथ बढ़ता है। नकदी और जीडीपी का अनुपात एक अधिक सटीक पैमाना है, चाहे नकदी निकासी में वृद्धि जमाखोरी के कारण हो रही हो या सामान्य वृद्धि हो। यह अनुपात नोटबंदी के कारण आई गिरावट के बाद, वित्त वर्ष 2020 में 12 फीसद के ऐतिहासित रुझान पर वापस आ गया। लेकिन मुद्रा की होल्डिंग्स में हालिया वृद्धि का मतलब है कि यह अनुपात वित्त वर्ष 2021 में जीडीपी के 14 से 15 फीसद तक बढ़ सकता है।
पिछले नवंबर महीने से नकदी निकासी में करीब 10 फीसद की वृद्धि हुई है। वहीं, यूपीआई पेमेंट में इस दौरान करीब 20 फीसद का इजाफा हुआ है। डिजिटल पेमेंट्स में वृद्धि और यूपीआई लेनदेन द्वारा दो अरब के स्तर को छू लेने के बाद भी नकदी निकासी अव्वल है।
अगर हम औसत टिकट साइस की बात करें, तो आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2019 में यूपीआई ट्रांजेक्शन में औसत टिकट साइज 1549 रुपये था, जो अगस्त 2020 में 1850 रुपये हो गया। वहीं, एटीएम से निकासी की बात करें, यहां नवंबर, 2019 में औसत टिकट साइज 4507 था, जो अगस्त 2020 में 4959 रुपये हो गया।
जानए क्यों हो रही एटीएम से अधिक निकासी
1. कोरोना वायरस महामारी के प्रारंभ में और लॉकडाउन के समय भारतीयों ने एटीएम से काफी कम निकासी की। उन्होंने अपनी आधारभूत जरूरतों के लिए ही नकदी की निकासी की और नकदी को बचाकर रखा। इसके पीछे संकट के समय में नकदी को बचाकर रखने की भारतीयों की मूल प्रवृत्ति ही थी। मार्च के आखिर में व अप्रैल, मई में लेनदेन में कमी आई। इसके बाद जुन महीने से इस स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हुआ। लॉकडाउन प्रतिबंधों के आसान होने और अर्थव्यवस्था के खुलने से लोग अपने आधाभूत खर्चों के अलावा अन्य खर्चों के लिए भी एटीएम से निकासी करने लगे।
2. लॉकडाउन के दौरान लोगों को सेलिब्रेट करने का मौका नहीं मिला था। इसलिए त्योहारी सीजन आने पर लोगों ने अपने लिए, अपने परिवार के लिए और अपने घर के लिए खरीदारी की और इसके चलते एटीएम से निकासी में वृद्धि हुई।
3. इस बीच यह भी ट्रेंड देखने को मिला कि लोगों ने एटीएम से 100 से 300 रुपये मूल्य की छोटी निकासी बहुत कम की। इसका बड़ा कारण यह रहा कि लोगों ने छोटे लेनदेन के लिए यूपीआई और डिजिटल पेमेंट्स का सहारा लिया।
4. महामारी के संक्रमण का खतरा अधिक रहने और लॉकडाउन के चलते लोग घर से बाहर निकलने में झिझक रहे थे। यहां तक की ऑफिस जाने की बजाय वर्क फ्रॉम होम ही कर रहे थे। इसके बाद जब कारोबारी गतिविधियां बढ़ीं और लोगों में कोरोना संक्रमण का ड़र कम हुआ, तो उन्होंने अपनी आवश्यकताओं के लिए खर्च करना शुरू किया।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal