लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने ली उत्तराखंड से ये प्रेरणा

देहरादून: देहरादून देवभूमि की नैसर्गिक छटा से अभिभूत लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन उत्तराखंड से हरियाली की प्रेरणा लेकर सोमवार शाम दिल्ली लौट गई। इससे पहले उन्होंने कहा कि पहाड़ों की रानी मसूरी और धनोल्टी अति सुंदर स्थल हैं। खासकर धनोल्टी में देवदार के वृक्ष अलग ही छटा बिखेरते हैं। इसी तर्ज पर उनका अपने संसदीय क्षेत्र इंदौर को भी हरा-भरा बनाने का उनका इरादा है। इसके लिए उन्होंने देशभर में स्वच्छता में अव्वल इंदौर के लिए क्लीन के साथ ग्रीन इंदौर का नारा दिया। 

लोकसभा अध्यक्ष महाजन शनिवार को उत्तराखंड पहुंची और रविवार तक का वक्त पहाड़ों की रानी मसूरी और इको टूरिज्म के लिए प्रसिद्ध धनोल्टी में बिताया। सोमवार को देहरादून में सीपीए जोन-एक की बैठक के दरम्यान उन्होंने संवाददाताओं से मसूरी व धनोल्टी के अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि यह दोनों स्थल अति सुंदर हैं, विशेषकर धनोल्टी। व्यवस्थाएं बहुत बेहतर हैं। 

उन्होंने कहा कि धनोल्टी में देवदार के वृक्ष वहां के प्राकृतिक सौंदर्य में चार चांद लगाते हैं। इसी तर्ज पर हरियाली के लिए वह इंदौर में भी प्रयास करेंगी। साथ ही जोड़ा कि देवदार के वृक्ष तो इंदौर में नहीं हो सकते, लेकिन इसी तरह अन्य पेड़ों को वहां लगाने के लिए कार्ययोजना तैयार की जाएगी। कहा कि वैसे भी इंदौर देश में स्वच्छता में अव्वल है। इसी कड़ी में इंदौर को ग्रीन इंदौर बनाया जाएगा। 

सदन में चर्चा न होने से लोस अध्यक्ष चिंतित 

लोस अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि सदन चर्चा के लिए है और इसमें चर्चा होनी ही चाहिए। चर्चा के जरिये ही किसी मसले का समाधान होता है। यदि कोई आरोप भी लगाता है तो उस पर भी चर्चा होनी चाहिए, अलबत्ता उसमें सप्लीमेंट हो। इसके लिए निरंतर अभ्यास की जरूरत है। उन्होंने माना कि पिछले कुछ दिनों से इस तरह की प्रवृत्ति आ रही है कि सदन में चर्चा न हो और गड़बड़ हो। हालांकि, इससे निबटने के लिए हमारे पुरखों ने नियम बनाए हैं। इसमें सदस्य को बाहर करने का भी प्रावधान है, मगर यह समाधान नहीं है। ऐसे में जरूरी है कि आपसी समझ विकसित की जाए। पक्ष प्रमुखों को भी इस पर गंभीरता से मनन करना होगा। 

सभापति के लिए सभी समान 

लोस अध्यक्ष ने कहा कि जब हम लोस व विस में सदन के मुखिया की जिम्मेदारी निभाते हैं तो अध्यक्ष के लिए सभी सदस्य समान होते हैं। सदन की संख्या के हिसाब से नियमानुसार हर सदस्य के लिए समय तय होता है। यह अध्यक्ष का दायित्व है कि प्रत्येक सदस्य को सदन में बोलने का अवसर दिया जाए।

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