महिला और बाल विकास मंत्रालय ने महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षण के लिए 3,024 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि अब तक जारी की है। इसमें से राज्यों ने 1,919 करोड़ रुपयों का प्रयोग किया है। शुक्रवार को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने निर्भया फंड की रिलीज और उपयोग के राज्यवार आंकड़े दिए।
दिल्ली में दिसंबर 2012 को एक छात्रा जो कि पैरामेडिकल की पढ़ाई कर रही थी के साथ सामूहिक दुष्कर्म की दिल दहला देने वाली घटना घटी थी। उसके बाद तत्कालिक यूपीए सरकार ने निर्भया फंड की स्थापना की थी। इसका लक्ष्य आपदा में पड़ी महिलाओं की सहायता और उनकी आर्थिक मदद करना था।
इसके तहत सबसे ज्यादा दिल्ली को आर्थिक सहायता दी गई थी। इसमें दिल्ली को 409.03 करोड़ रुपये जारी किए गए थे, इसमें से 352.58 करोड़ का प्रयोग किया गया है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश को 324.98 करोड़ की सहायता राशि इस मद में दी गई इसमें से राज्य ने 216 .75 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किया, इस क्रम में तमिलनाडु को 303.06 करोड़ रुपये दिए गए और उसने 265.55 करोड़ रुपयों का उपयोग किया। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि निर्भया फंड के लिए सहायता का मूल्यांकन खासी पारदर्शी व्यवस्था के तहत किया जाता है।
इसके लिए अधिकारियों की एक अधिकार प्राप्त समिति जिसे सशक्त समिति जिसे -ईसी कहते हैं, निर्भया योजना में आर्थिक सहायता के लिए विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तथा अन्य संगठनों से प्राप्त प्रस्तावों का मूल्यांकन करती है। इसके बाद इस समिति की सिफारिश पर ही आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
ईरानी ने एक लिखित उत्तर में कहा, ईसी द्वारा प्रारंभिक मूल्यांकन के बाद, संबंधित मंत्रालयों, विभागों को वित्त मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार व्यय वित्त समिति (ईएफसी), स्थायी वित्त समिति (एसएफसी), सार्वजनिक निवेश बोर्ड (पीआईबी) प्रत्यायोजित निवेश बोर्ड (डीआईबी) द्वारा मूल्यांकन किया जाता है इसके बाद मूल्यांकित की गई योजनाओं के द्वारा आर्थिक सहायता प्राप्त होती है । इसके बाद वे सक्षम वित्तीय प्राधिकरण (सीएफए) की मंजूरी लेते हैं और इसके बाद अपने-अपने बजट में से पैसा जारी करते हैं।
एक अन्य सवाल के जवाब में ईरानी ने कहा कि यौन उत्पीड़न के मामलों में कुशल और समय पर जांच करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सुविधा प्रदान करने के लिए निर्भया फंड के तहत कुल 2.97 करोड़ रुपये की लागत से ऐसे मामलों में इस्तेमाल के लिए कुल 14,950 यौन उत्पीड़न साक्ष्य संग्रह (एसएईसी) किट उपलब्ध कराए गए हैं। उन्होंने इन किटों के राज्यवार वितरण के आंकड़े भी दिए। उत्तर प्रदेश को सबसे अधिक 3,056 किट मिली है और उसके बाद राजस्थान को 1,452 किट और मध्य प्रदेश को 1,187 किट दी गई हैं।