महागठबंधन में सीटों की संख्या तय करने के लिए एक ओर जहां दिल्ली में बुधवार को घटक दलों के नेता जुटे, वहीं उत्तर बिहार की दो सीटों पर खींचतान जारी है। दरभंगा से भाजपा के खिलाफ राजद प्रत्याशी उतारता रहा है, मगर अभी वर्तमान सांसद कीर्ति आजाद पाला बदलकर भाजपा से कांग्रेस में आ गए हैं।
कीर्ति आजाद के कांग्रेस में आ जाने से दरभंगा सीट महागठबंधन में इस कारण अहम हो गई है क्योंकि वह वर्तमान में वहां से सांसद हैं। जाहिर है वह इसी शर्त पर कांग्रेस में आए हैं कि पार्टी उन्हें वहां से प्रत्याशी बनाए। वह तीन बार दरभंगा से सांसद रहे हैं। दूसरी ओर राजद से अशरफ अली फातिमी चुनाव लड़ते रहे हैं।
2004 में वह दरभंगा से चुनाव जीतकर केंद्रीय मंत्री भी बने थे। इस सीट के लिए राजद से वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी के नाम की भी चर्चा है। पूर्वी चंपारण से पांच बार सांसद रहे राधा मोहन सिंह को कांग्रेस नेता अखिलेश सिंह ने एकबार परास्त किया था। तब वह राजद में थे। इस सीट पर राजद के अलावा अब कांग्रेस ने भी दावेदारी कर रखी है।
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता अपने पुत्र के लिए यह सीट मांग रहे हैं। दूसरी ओर रालोसपा की ओर से जनवरी में ही पूर्वी चंपारण सीट पर अपना प्रत्याशी देने की घोषणा की जा चुकी है। रालोसपा अपने राष्ट्रीय महासचिव माधव आनंद को वहां से चुनाव लड़ाना चाहती है।
इस सीट को लेकर रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा पर आरोप भी लगा है कि उन्होंने नौ करोड़ रुपये के एवज में यह सीट माधव आनंद को बेच दी है। यह आरोप कोई और नहीं, बल्कि रालोसपा से निष्कासित कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष नागमणि लगा रहे हैं।
उत्तर बिहार की इन दो सीटों के अलावा मुंगेर को लेकर भी महागठबंधन में जिच है। मोकामा से निर्दलीय विधायक अनंत सिंह कांग्रेस के टिकट पर वहां से चुनाव लडऩा चाहते हैं। उन्होंने राहुल गांधी की 3 फरवरी की रैली को लेकर भी सक्रियता दिखाई थी। मगर, राजद ने उनकी महागठबंधन में इंट्री पर एतराज जता रखा है।
रैली के बाद कांग्रेस ने भी अनंत सिंह के प्रति उत्साह दिखाना बंद कर दिया है। मगर अंदरखाने चर्चा है कि अनंत सिंह मुंगेर से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भी चुनाव लड़ सकते हैं। उन्हें बाहर से महागठबंधन का समर्थन मिल सकता है।