लोकसभा चुनाव 2019: डेराप्रेमियों की खामोशी सभी दलों को पड़ सकती है भारी…

पंजाब की राजनीति में 1998 से सक्रिय भूमिका निभाते आ रहे डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी लोकसभा चुनाव-2019 को लेकर खामोश हैं और यह खामोशी चुनाव के परिणामों में उलटफेर के संकेत देने लगी है। डेराप्रेमियों से मिले संकेतों के अनुसार, डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी जहां भाजपा से सख्त नाराज हैं, वहीं बेअदबी के मामलों में डेरे को घसीटे जाने के कारण कांग्रेस पार्टी से भी खफा हैं।

उनकी नाराजगी आम आदमी पार्टी से भी है, जिसके नेता लगातार डेरे के खिलाफ बयानबाजी करते रहे हैं। इस बीच खबर यह भी है कि डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के जेल में है। इस कारण डेरे के राजनीति विंग ने लोकसभा चुनाव को लेकर किसी राजनीतिक दल को समर्थन दिए जाने संबंधी बयान जारी करने की संभावनाओं से इंकार कर दिया है। इस बार डेरे की ओर से अनुयायिओं को यही निर्देश जारी होंगे कि वे अपने विवेक से मताधिकार का इस्तेमाल करें।

पंजाब की मालवा बेल्ट में वर्चस्व रखने वाले 33 लाख से अधिक डेरा अनुयायियों की नाराजगी इस बार प्रदेश के किस राजनीतिक दल पर भारी पड़ेगी, फिलहाल उसका सही अनुमान लगा पाना कठिन है। लेकिन इन लाखों वोटरों की नाराजगी तीनों ही प्रमुख दलों के लिए चिंता का कारण बन सकती है। 1998 में डेरे की ओर से लोकसभा चुनाव में अकाली-भाजपा गठबंधन को समर्थन दिया गया था।

तब अकाली-भाजपा गठबंधन सभी 13 लोकसभा सीटें जीता और प्रदेश से कांग्रेस का सफाया हो गया था। वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव में डेरा सच्चा सौदा द्वारा निभाई गई भूमिका पर नजर डाली जाए तो डेरा सच्चा सौदा द्वारा अकाली-भाजपा गठबंधन को समर्थन का एलान किए जाने के बाद चुनावी जीत-हार के सारे समीकरण बदल गए थे। सबसे आगे चल रही आम आदमी पार्टी दूसरे नंबर पर खिसक गई और कांग्रेस को सत्ता में वापसी का मौका मिल गया।

तब खास बात यह भी रही कि सिखों की नाराजगी झेल रहे डेरा सच्चा सौदा के अकाली-भाजपा के साथ जाने का नुकसान अकाली दल को हुआ और पंथक वोट खिसक कर कांग्रेस की झोली में चले गए। दूसरा नुकसान आम आदमी पार्टी को हुआ, जिसके साथ डेरे के वोटर दिखाई दे रहे थे, लेकिन अंतिम समय में पलटकर अकाली-भाजपा गठबंधन के साथ हो गए।

पंचकूला हिंसा बना नाराजगी की वजह

इस बार डेरा अनुयायी भाजपा से पंचकूला हिंसा की घटना को लेकर गुस्से में हैं। इसका सीधा खामियाजा अकाली दल को गठबंधन के चलते भुगतना होगा। हालांकि अकाली दल अपने बचाव में डेरा सच्चा सौदा का खुलकर समर्थन भी नहीं कर सकता, क्योंकि पंथक संगठन पहले से ही उस पर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख की माफी को लेकर निशाना साधते रहे हैं।

डेरा प्रेमी कांग्रेस से इसलिए नाराज चल रहे हैं कि अकालियों पर निशाना साधने के लिए कांग्रेस ने डेराप्रेमियों को बेअदबी के मामलों में जानबूझकर घसीट लिया। इस संबंध में डेरा प्रेमियों का कहना है कि डेरे का कोई सदस्य पवित्र ग्रंथ की बेअदबी जैसा घिनौना काम कभी नहीं कर सकता। आम आदमी पार्टी को लेकर डेरा प्रेमियों का कहना है कि इसके नेता डेरे के खिलाफ बिना वजह बयानबाजी करते रहते हैं। वैसे आम आदमी पार्टी के खिलाफ डेराप्रेमियों की नाराजगी ज्यादा गंभीर दिखाई नहीं दे रही।

जिसके पास वोट हैं, उससे जरूर मांगेंगे : श्वेत मलिक
पंजाब में 2016 के विधानसभा चुनाव से विपरीत लोकसभा चुनाव 2019 में डेरा सच्चा सौदा को लेकर परिस्थितियां थोड़ी अलग हुई हैं। डेरामुखी इस समय जेल की सजा काट रहे हैं और हर चुनाव में उनसे आशीर्वाद लेने के लिए सिरसा पहुंचने वाले नेता इस बार झिझक रहे हैं। फिर भी, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्वेत मलिक ने हाल ही में जालंधर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान साफ कर दिया कि जिसके पास वोट हैं, चाहे वह जेल में बंद हो, हम उससे वोट जरूर मांगेंगे। इस संबंध में बाकी दल फिलहाल कुछ भी कहने से बच रहे हैं।

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