कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के लिए जब केंद्र सरकार ने देश में लॉकडाउन का ऐलान किया था, उद्योग-धंधों के पहिए थम गए थे. बड़ी तादाद में प्रवासी मजदूर अलग-अलग इलाकों से अपने गांव, अपने घर को लौटने लगे थे.
कोई ट्रक में भरकर तो कोई पैदल ही, कोई साइकिल या बाइक से अपने गृह राज्य वापस जा रहा था. मजदूरों के मुद्दे पर सियासत भी खूब हुई. महाराष्ट्र सरकार पर भी मजदूरों को जरूरी बुनियादी सुविधाएं न दे पाने के आरोप लगे थे.
अब देश में लॉकडाउन से ढील दिए जाने का सिलसिला शुरू हो चुका है. हालात बदलते ही तस्वीर भी बदलने लगी है. लॉकडाउन के दौरान तमाम मुश्किलों से जूझते हुए घर तक पहुंचे मजदूर अब फिर से महाराष्ट्र लौटने लगे हैं.
उत्तर प्रदेश के बनारस से चार बाइक पर सवार छह मजदूरों का दल मंगलवार को महाराष्ट्र पहुंचा. वाशिम पहुंचे मजदूर बनारस से 1600 किलोमीटर की दूरी तय कर पुणे के लिए निकले थे.
मीडिया से बात करते हुए उत्तर प्रदेश से महाराष्ट्र लौटे इन मजदूरों ने कहा कि महाराष्ट्र में रोजी-रोटी और रोजगार है. इन श्रमिकों ने महाराष्ट्र को पिता बताया. पुणे जा रहे ये मजदूर लंबे सफर के दौरान वाशिम जिले के करंजा शहर के समीप बाइपास पर रुके थे. पता चला कि चार बाइक पर सवार छह मजदूर बनारस से पुणे जा रहे हैं.
बता दें कि लॉकडाउन के बाद रोजी-रोजगार छिन जाने और तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण उत्पन्न परिस्थितियों में लाखों मजदूर महाराष्ट्र से अपने गृह राज्य लौट गए थे.
जब रेल-बस के परिचालन पर रोक थी, तब मजदूर पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर दूरी नापने सड़कों पर निकल पड़े थे. बाद में सरकार ने मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई.