सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से स्पष्ट कहा है कि मोरेटोरियम अवधि में बैंकों द्वारा ब्याज लिए जाने के मामले में हलफनामा दाखिल कर अपना रुख स्पष्ट करे। कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह इस मामले में आरबीआइ की आड़ नहीं ले सकता। लॉकडाउन सरकार ने लगाया, तो लोगों को उस अवधि में हुई दिक्कत से निजात भी सरकार ही दिलाए। मोरेटोरियम के दौरान लोन की इएमआइ के ब्याज पर भी ब्याज वसूले जाने के मामले में केंद्र सरकार की ओर से रुख स्पष्ट नहीं किए जाने पर कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई। कोर्ट मामले पर एक सितंबर को फिर सुनवाई करेगा। केंद्र सरकार को यह भी निर्देश दिया गया है कि वह अगली सुनवाई से एक दिन पहले हलफनामे की कॉपी पक्षकारों को दे देगा।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, आर. सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की पीठ ने आगरा के गजेंद्र शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को कहा कि ऐसा लग रहा है कि केंद्र आरबीआइ के पीछे छिप रहा है। यह समय सिर्फ बिजनेस देखने का नहीं है, बल्कि लोगों को राहत के मुद्दे पर भी विचार होना चाहिए। केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार और आरबीआइ समन्वय के साथ काम कर रहे है यह कहना सही नहीं होगा कि केंद्र सरकार छिप रही है। कोर्ट ने कहा कि केंद्र के पास आपदा प्रबंधन कानून के तहत पर्याप्त शक्तियां हैं। वह निर्णय ले कि क्या वह बैंको को मोरेटोरियम अवधि के लिए कर्ज के ब्याज पर ब्याज वसूलने से रोक सकता है कि नहीं।
इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील राजीव दत्ता ने कोर्ट से कहा कि केंद्र सरकार ने न तो इस मामले पर अपना रुख साफ किया है, और न ही कोई हलफनामा दाखिल किया है। वहीं एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि कर्ज अदायगी की किस्त जमा करने से मिली छूट यानी मोरेटोरियम की अवधि 31 अगस्त को समाप्त हो रही है। कोर्ट में जब तक यह मामला सुना जाता है तब तक के लिए कोर्ट मोरेटोरियम की तारीख बढ़ा दे। गौरतलब है कि किसी भी निश्चित अवधि के लिए किसी कार्य पर रोक लगाने के मामले में उस अवधि को मोरेटोरियम कहा जाता है।
याचिका में यह मांग
याचिका में मांग की गई है कि कर्ज के भुगतान में मोरेटोरियम अवधि का ब्याज नहीं वसूला जाएगा। तीन महीने की छूट अवधि का ब्याज वसूले जाने से आर्थिक संकट में चल रहे कर्जदारों को भारी मुश्किल का सामना करना पड़ेगा। अगर इस अवधि का ब्याज माफ नहीं किया गया तो यह ब्याज तीन महीने की अवधि बीतने के बाद बैंक वसूलेंगे या फिर अंत में इसे अतिरिक्त किस्त के तौर पर वसूला जाएगा। यह भी संभव है कि उसे बाकी बची किस्तों में जोड़ दिया जाएगा, जिससे कर्ज लेने वालों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा।
यह है मामला
– लॉकडाउन की शुरुआत के बाद आरबीआइ ने होम, पर्सनल और ऑटो जैसे खुदरा लोन ग्राहकों को ईएमआइ भुगतान में राहत के लिए लोन पर मोरेटोरियम यानी स्थगन का विकल्प दिया
– यह विकल्प मार्च से मई तक के लिए था जिसे बाद में अगस्त तक बढ़ा दिया गया, बैंकों ने इन छह महीनों की स्थगन अवधि के लिए ईएमआइ पर भी ब्याज लेने की बात कही है
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