लालू से मिलने रांची पहुंचे बीजेपी के 'शत्रु', सपा नेताओं के साथ RIMS में की मुलाकात

लालू से मिलने रांची पहुंचे बीजेपी के ‘शत्रु’, सपा नेताओं के साथ RIMS में की मुलाकात

बीजेपी और खासकर मोदी सरकार की नीतियों का लगातार विरोध करने वाले बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा के बारे में ताजा जानकारी सामने आई है कि वे समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय (कांग्रेस) के साथ आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की. इस हाई प्रोफाइल राजनीतिक मुलाकात के लिए BJP के रूठे हुए सांसद शत्रुघ्न सिन्हा रांची पहुंचे थे. बीजेपी के वरिष्ठ नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने लालू प्रसाद यादव से मिलने के बाद उनकी सेहत को लेकर मीडिया से बात की. इस दौरान उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कोई राजनीतिक मुलाकात नहीं थी. उन्होंने कहा, “हम लोग परिवार जैसे हैं और उनका हालचाल पूछने के लिए लालू से मिलने आए हुए थे.” आपको बता दें कि इन नेताओं की ओर से लालू से मुलाकात की इजाजत मांगने के लिए रांची जेल के अधीक्षक को भेजी गई अर्जी जी मीडिया के हाथ लगी है. जिसमें शत्रुघ्न सिन्हा के साथ-साथ समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद किरणमय नंदा और समाजवादी युवजन सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास यादव का नाम दिया गया था.लालू से मिलने रांची पहुंचे बीजेपी के 'शत्रु', सपा नेताओं के साथ RIMS में की मुलाकात

इधर फैसला आया उधर मुलाकात की अर्जी लगी
जानकारी के मुताबिक मुलाकात की इस अर्जी पर अधीक्षक की मंजूरी दे दी गई थी. अक्षीक्षक ने अर्जी पर टीप लिखा है कि ‘इन्हें RIMS में इलाजरत लालू प्रसाद जी से मुलाकात की स्वीकृति दी जाती है.’ इस अर्जी पर जो तारीख डली हुई है वह शनिवार की ही है. जिसके बाद 24 मार्च को लालू यादव से किरणमय नंदा और शत्रुघ्न सिन्हा ने मुलाकात की. यह मुलाकात इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह खबर ठीक उस वक्त सामने आई है जब लालू को चारा घोटाले के दुमका कोषागार से जुड़े चौथे मामले में रांची की विशेष सीबीआई अदालत द्वारा अलग-अलग धाराओं के तहत 7-7 साल की दो सजा सुनाई गई है और 30-30 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है.

महागठबंधन में लालू की भूमिका हो सकती है अहम
बदलती राजनीतिक गतिविधियों में यह मुलाकात खास हो सकती है क्योंकि धीरे-धीरे कर विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट होने लगी हैं. एक ओर जहां कांग्रेस सबको एकसाथ यूपीए के बैनर के तले लाने की कोशिश में लगी है तो वहीं कुछ वरिष्ठ और महत्वाकांक्षी नेताओं की कोशिश तीसरे फ्रंट को साकार रूप देने की है. वहीं दूसरी ओर राजनीतिक जानकार इस मुलाकात को इसलिए भी अहम मान रहे हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश और बिहार में इस वक्त महागठबंधन को मजबूत करने की कवायद तेज हो रही है. और इसमें लालू प्रसाद यादव की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है.

पिछले काफी समय से मोदी सरकार से नाराज हैं शत्रुघ्न सिन्हा
शत्रुघ्न सिन्हा के इस अप्रत्याशित कदम के पीछे राजनीतिक जानकारों का कहना है कि शत्रुघ्न सिन्हा का विपक्ष के लिए उदार और अपनी सरकार को फटकार वाला रुख नया नहीं है. वो कई सालों से मोदी सरकार से नाराज चल रहे हैं और समय-समय पर ट्वीट और बयान के जरिए अपना गुस्सा निकालते रहे हैं. ऐसे में अगर वे गठबंधन की ओर झुकते हैं तो इसमें कुछ नया नहीं होगा.

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