लाकडाउन का सकारात्मक उपयोग करते हुए MSR – माई सोशल रिस्पांसबिल्टी पर हुई बौधिक परिचर्चा, 11 वैश्विक बुद्धिजीवियों ने किया मार्गदर्शन

वाराणसी। वैश्विक महामारी ने समाज में बहुत बदलाव ला दिया हैं। MSR – एम.एस.आर. यानि माई सोशल रिस्पांसबिल्टी की विचार धारा भी उन बदलाव की एक कड़ी है। इस महामारी का सकारात्मक पहलू यह है कि लोग अपने और अपने परिवार के साथ समाज की दूसरी इकाई के बारे में अपना सामाजिक उत्तर दायित्व समझकर सोचनें और उनके समस्या के निदान के लिए पहल करने लगे है। जो स्वस्थ समाज के लिये सुखद संकेत है। उक्त विचार रजत सिनर्जी फाउंडेशन के सेक्रेटरी रजत मोहन पाठक ने वर्चुअल आयोजित 11 बौधिक परिचर्चाओं की श्रृंखला माई सोशल रिस्पांस बिल्टी (एम.एस.आर.) कैम्पेन के समापन के अवसर पर व्यक्त किये।

उन्होने बताया कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने लोगों को बहुत ज्यादा मानसिक क्षति पहुँचाई हैं और उससे उभरने का तरीका सिर्फ मानसिक प्रेरणा ही हैं। एम.एस.आर. के ज़रिए 11 बुद्धिजीवी व्यक्तियों ने अपने अनुभव साझां किए और बताया कि अपने जीवन में विषम परिस्थितियों के बाद भी उन्होंने उपलब्धियो को अर्जित किया। इनमें से कई बुद्धिजीवीयां ने इस महामारी में किसी अपने को खोया था, उसके बाद भी वह लोगों को प्रेरणा बनकर आगे बढ़ने के लिये प्रोत्साहित रहे हैं। यह एक प्रेरक प्रयास है, जिससे प्रेरित होकर कोई भी व्यक्ति अपना मानसिक एवं भौतिक विस्तार कर सकता हैं।

धर्म, संस्कृति, शिक्षा, कला की राजधानी वाराणसी से लोगों के सामाजिक जिम्मेदारी को लेकर एक शुरूवात हुई। यह एम.एस.आर अंर्तराष्ट्रीय कैम्पेन एक बौद्धिक परिचर्चा है, जिसमे आयोजक रजत सिनर्जी फाउंडेशन द्वारा 11 विभिन्न क्षेत्रों के बुद्धजीवियों सिद्धार्थ सत्पथी (लेखक, कहानीकार, कोच, पॉडकास्टर, ब्लॉगर, एक्सप्लोरर, एचआर प्रोफेशनल), हर्षवर्धन त्रिपाठी, (पत्रकार और मीडिया शिक्षक), ओमा द अक्क (आध्यात्मिक गुरु), रामास्वामी नंदगोपाल (निदेशक एक्स.आई.एम.ई. कोच्चि, पूर्व निदेशक पीएसजी प्रबंधन संस्थान), मुकुल पुरोहित (मिस्टिक आर्ट रिट्रीट्स के सह-संस्थापक और निर्माता), सिद्धार्थ तिवारी (यूट्यूबर, 7लाख 23हजार सस्क्राईबर), डॉ गीता हेगड़े (डीन, बिजनेस स्कूल), विपुल कृष्णा नगर, (एसआर वीपी एवं राष्ट्रीय समाधान निदेशक मिर्ची ब्रेवरी), प्रवीण चतुर्वेदी (मूनलाइट पिक्चर्स के सीईओ एवं संस्थापक), डॉ.कुंवर साहनी (संस्थापक अरोमा वास्तु एवं काशी अकादमी फॉर होलिस्टिक इनोवेशन), श्रीनिवास बी.वी. (अध्यक्ष, भारतीय युवा कांग्रेस) को व्यक्तिगत वार्तालाप के लिए आमंत्रित किया गया। जिनसे रजत मोहन पाठक ने महामारी से प्रभावित आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक एवं आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भूत, भविष्य एवं वर्तमान पर परिचर्चा किया।

अतिथिजनों ने बीतें सामान्य एवं लाकडाउन के दिनों से अर्जित अनुभव को साझां करते हुए वर्तमान एवं भविष्य के हालात पर चर्चा करते हुए कहा कि पहले लोग सरकार एवं प्रशासन पर पूरी तरह आश्रित रहने लगे थें, पर वही अब वैश्विक महामारी ने लोगों के सोच को बदल दिया है और वो अपनी क्षमतानुसार अपना ही नही अपने आसपास के लोगों के समस्याओं के निदान के लिए भी पहल करने से नही कतराते। जो सामाजिक बंधन कमजोर हो रहे थे, वह मजबूती से बंधने लगे है। लोगों ने निराशा के भंवर से संघर्ष करना सीख लिया है और दूसरों को भी डूबने से बचा रहे है। समाज के तमाम फूल जो डालियों से गिरने लगे थे, हार बनने को बढ़ चले है।

11 बौद्धिक परिचर्चा की श्रृंखला का सजीव प्रसारण एवं विडियों को 30 से अधिक सोशल मिडिया प्लेटफार्मस के माध्यम से 22 मिलियन से अधिक लोगों तक पहुंचाया गया। वही एक हजार से अधिक श्रोताओं ने शेयर किया। जिससे इस परिचर्चा को सुनने वाले हर व्यक्ति की अपनी चेतना जागृत हो और वो अपने व्यक्तिगत एवं सामाजिक दायित्व के बारे आत्ममंथन कर सके। वही भारत, आस्ट्रेलिया, जापान, हांगकांग, श्रीलंका, यूएई, कनाडा सहित देश विदेश के कई शहरों से बौधिक परिचर्चा का हिस्सा बनें।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com