लखनऊ: शहीद पुतली को अंतिम विदाई नम आंखों से दी, मंत्री आशुतोष टंडन ने दिया कंधा…

जिस बीकेटी वायुसेना स्टेशन में एएनसी पुतली ने सन् 2000 में अपनी सेवा देश की रक्षा के लिए शुरू की थी। उसी वायुसेना स्टेशन से होकर जब पुतली की अंतिम यात्रा निकली तो माहौल गमगीन हो गया। फूलों से सजे विशेष वाहन से सवार तिरंगे में लिपटा पुताली का शव जन्मस्थली भौली गांव पहुंचा तो खामोशी चित्कार में बदल गई।

बड़े भाई मुन्नीलाल की आंखें अपने बेटे समान छोटे भाई को खो देने की उनकी पीड़ा बयां कर रही थी। एक पिता की तरह पुतली को पालने वाले मुन्नीलाल ने ही मुखाग्नि दी। मंत्री आशुतोष टंडन और विधायक अवनीश त्रिवेदी ने पुतली को कंधा दिया। सैनिक सम्मान के साथ पुतली का अंतिम संस्कार भौली में कर दिया गया। असम के जोरहाट वायुसेना स्टेशन पर गुरुवार देर रात वायुसेना अधिकारियों ने पुताली सहित सभी शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद पुतली का पार्थिव शरीर बीकेटी वायुसेना स्टेशन भेजा गया। रात करीब 2:30 बजे विशेष विमान ने बीकेटी वायुसेना स्टेशन के रनवे पर लैंडिंग की।

रात में पुतली के पार्थिव शरीर को बीकेटी वायुसेना स्टेशन में रखा गया। सुबह करीब 9:30 बजे पुतली की अंतिम यात्रा बीकेटी वायुसेना स्टेशन से निकली और 10 बजे उनके भौली स्थित घर पहुंची। भाई मुन्नीलाल और शिवचरन, दोनो भाभी और उनके बच्चे पुतली के शव को देख बदहवास हो गए। भाई के जिस पौत्र को पुतली ने पिछली बार खिलौने दिलाए थे, वह मासूम भी हार चढ़ी बाबा की फोटो और उनके ताबूत को देख अवाक सा रह गया। घर पर प्रतीकात्मक शव को मात्र 30 मिनट रखने के बाद उनका अंतिम संस्कार सैनिक सम्मान के साथ किया गया। यहां बिगुलर ने अंतिम धुन बजायी। बीकेटी वायुसेना स्टेशन के स्टेशन कमांडर ग्रुप कैप्टन जे सुआरेस, जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा, एसएसपी कलानिधि नैथानी के अलावा बड़ी संख्या में लोगों ने शहीद पुतली को श्रद्धांजलि अर्पित की। 

विमान तीन को लापता हुआ था-  पुतली सहित वायुसेना के 13 जांबाजों ने तीन जून को असम के जोराहट से वायुसेना के विमान एएन-32 से उड़ान भरा था। यह विमान अरुणाचल प्रदेश की पहाडिय़ों पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। कुछ दिन की तलाश के बाद विमान का मलबा दिखा। जिसके बाद वायुसेना ने सभी जांबाजों के शहीद होने की पुष्टि की थी। 

20 लाख का चेक दिया-   मंत्री आशुतोष टंडन ने राज्य सरकार की ओर से पुतली के परिवारीजनों को 10-10 लाख रुपये के दो चेक प्रदान किए। बड़े भाई मुन्नीलाल और शिवचरन को 10-10 लाख रुपये के चेक सौंपे गए। 

 

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