लोहिया अस्पताल से डॉक्टरों की छुट्टी कर दी गई है। इसमें से 43 को स्वास्थ्य विभाग ने कार्यमुक्त कर दिया। इन्हें लोहिया संस्थान में ज्वॉइन करने का आदेश जारी कर दिया गया है। वहीं शेष का राजधानी के अन्य चिकित्सालयों में ट्रांसफर कर दिया गया।

दरअसल, लोहिया अस्पताल का लोहिया संस्थान में विलय की प्रक्रिया सपा सरकार के वक्त से शुरू हुई थी। वहीं बीच में योजना अटक गई। इसके बाद वर्ष 2017 में संस्थान में एमबीबीएस पाठ्यक्रम को अनुमति मिली। लोहिया संस्थान में जनरल डिपार्टमेंट के वार्ड न होने से मान्यता में आपत्ति जताई गई। दो वर्ष तक एमसीआइ को एनओसी देकर काम चलाया गया।
वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शीघ्र विलय का निर्देश दिया। इसके बाद अधिकारी हरकत में आए। अगस्त अंत में अस्पताल के संस्थान में विलय का आदेश जारी किया गया। वहीं डॉक्टरों व कर्मचारियों की तैनाती का मामला फंसा रहा। अब तीन अक्टूबर को स्वास्थ्य सचिव वी हेकाली झिमोमी ने डॉक्टरों की लिस्ट जारी कर दी। वहीं कर्मचारियों की तैनाती को लेकर शुक्रवार शाम को शासन में बैठक हुई।
एम्स की तर्ज पर किया जा रहा विकसित
लोहिया संस्थान को एम्स की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है। यहां यूजी, पीजी व सुपर स्पेशियलिटी कोर्स का संचालन हो रहा है। वहीं एमसीआइ के मानकों के हिसाब से 200 एमबीबीएस सीटों के लिए करीब 450 बेड की और आवश्यकता है। इसके लिए लोहिया अस्पताल का विलय जरूरी था। संस्थान के पास कुल 550 बेड हैं।
चिकित्सा अधीक्षक समेत विशेषज्ञों की तैनाती
इन अस्पतालों में भी भेजे डॉक्टर
लोहिया अस्पताल के शेष 37 डॉक्टरों को बलरामपुर, सिविल, डफरिन, झलकारीबाई, साढ़ामऊ और लोकबंधु अस्पताल में स्थानांतरण किया गया है। इसके अलावा कुछ को सीएमओ कार्यालय व स्वास्थ्य निदेशालय में तैनाती दी गई है।
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