रंगोत्सव के लिए बाजार पूरी तरह से तैयार हो गए हैं। जैसे-जैसे होली का त्योहार नजदीक आ रहा है रंग और पिचकारी बाजार में रौनक बढ़ती जा रही है। मेक इन इंडिया का जलवा पिचकारी बाजार में साफ दिख रहा है। चीनी आइटम बाजार से गुम हैं और देशी सस्ती पिचकारियां बाजार में अपनी जोरदार मौजूदगी दर्ज करा रही हैं। चांदी की पिचकारियां भी सर्राफा बाजार में अपनी धवल चांदनी बिखेर रही हैं।
सस्ती देशी पिचकारियों ने ड्र्रैगन की अकड़ की ढीली
एक हजार से लेकर दो हजार के बीच बिकने वाली ड्रैगन, पाइप और पिट्ठू सरीखी महंगी चीनी पिचकारियां बाजार से इस बार पूरी तरह से गायब हैं। इनका स्थान सस्ती और टिकाऊ देशी पिचकारियों ने ले लिया है। 650 रुपये प्रति पीस की प्रेशर गन पिचकारी हो या फिर 550 रुपये का टंकी बैग अथवा 350 से लेकर 800 तक का पीठ पर लादने वाली देशी सस्ती पिट्ठू पिचकारियों की दुकानों में भरमार है। कारोबारी अभिषेक गुप्ता बंटी बताते हैं इस बार देशी पिचकारियां बाजार में नए डिजाइन के साथ मौजूद हैं। सस्ती हैं। 45 रुपया प्रति पीस वाला हुक्का बार बच्चेे खूब पसंद कर रहे हैं।
चांदी की पिचकारी-बाल्टी बिखेर रही धवल चांदनी
चौक सर्राफा बाजार में कारोबारी सिद्धार्थ जैन बताते हैं कि पांच हजार से लेकर पचास हजार रुपये तक की कीमत की खूबसूरत बाल्टी और पिचकारियां बाजार में आ गई हैं। बेहद खूबसूरत डिजाइन वाली इन पिचकारियों पर बेहतरीन नक्काशी है। बाल्टी में सुनहरी डिजाइन लोगों को आकर्षित करती है। वजन के हिसाब से इसे ग्राहक अपने बजट के मुताबिक बनवा सकते हैं। सगुन वाली पिचकारी हल्की हैं तो अन्य भारी हैं।
‘इस बार ड्रैगन नहीं मेक इन इंडिया का जलवा कायम है। चीनी आइटम नहीं देशी आइटम बाजार में धमक और चमक के साथ मौजूद हैं।’
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