साथी पार्टनर की धोखाधड़ी का शिकार डॉ. राकेश व डॉ. मनोज ने बताया कि हमारी पार्टनरशिप डीड के मुताबिक, कोई भी लेनदेन दो लोगों के हस्ताक्षर व सहमति से होनी थी। कोई भी इकलौता पार्टनर इस बैंक खाते से लेनदेन नहीं कर सकता। इसके बावजूद मनजीत ने खुद को सोलो सिग्नेट्री या खाता संचालक बना लिया। यही नहीं 20 जुलाई 2017 को बैंक खाते से बिना हमारे संज्ञान के 15 लाख रुपये लाठिया इलेक्ट्रिक्स फर्म में मनजीत ने अपने हस्ताक्षर से ट्रांसफर कर दिए। इसके अलावा 14 अगस्त 2017 को बैंक की सोनीपत रोड शाखा रोहतक से 13 लाख रुपये फिर से लाठिया इलेक्ट्रिक्स फर्म में मनजीत ने अपने हस्ताक्षर से ट्रांसफर कर दिए।
चिकित्सकों ने बताया कि हमने स्पेस अस्पताल की शुरुआत के समय लोन लिया था। उसमें डॉ. राकेश कुमार ने सुसराल पक्ष की संपत्ति गिरवी रखी है। लोन का भुगतान स्पेस अस्पताल को करना था। मनजीत ने लोन का भुगतान न करके करोड़ों रुपये फर्जी तरीके से दूसरी जगह ट्रांसफर कर लिए हैं। हाल में ईसीएच पैनल के साढ़े तीन करोड़ रुपये आने थे। इससे अस्पताल का लोन चुकाना था।
अलग फर्म बनाकर खातों में भेजे लाखों रुपये
मनजीत ने इसी तरह अपने हस्ताक्षर से शिव सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल नामक फर्म में भी करोड़ों रुपये ट्रांसफर किए हैं। यह एक फर्जी फर्म है। इसमें मनजीत के पिता सतबीर सिंह पार्टनर हैं। एक अन्य फर्म बलवंत मेडिकोज में भी करोड़ों रुपये ट्रांसफर किए हैं। इसी तरह अनेक ऐसी फर्म के खाते व दोस्तों-रिश्तेदारों और अपने पिता के खातों में लाखों रुपये ट्रांसफर किए हैं। इसमें मनजीत व उसके पिता सतबीर सिंह की मिलीभगत है।
पिता-पुत्र करते थे अस्पताल की देखरेख
आरोप है कि दोनों भाइयों के अपने दूसरे अस्पतालों में व्यस्तता के कारण मनजीत व उसके पिता अस्पताल का कार्य देखते हैं। जब भी अस्पताल के हिसाब-किताब के बारे में पूछते तो अस्पताल में घाटे की बात कही जाती। आरोपी कहता उसने अस्पताल के लिए कुछ नई मशीनें खरीदी हैं। मशीनों के रुपये अपने रिश्तेदारों से उधार लेकर उनकी पेमेंट की है। बैंक स्टेटमेंट से फर्जीवाड़े का पता चला। इसके बाद चिकित्सक भाइयों ने मनजीत से इस बारे में बात की कि करोड़ो रुपये इन खाते में क्यों गए हैं? जबकि हम दोनों भाइयों के बैंक खातो में आज तक एक रुपया नहीं गया।
बैंक पर करोड़ों रुपये का है लोन
चिकित्सकों ने बताया कि बैंक पर करोड़ों रुपयों का लोन भी बाकी है। इस पर मनजीत व उसके पिता सतबीर सिंह ने मुझे व मेरे भाई को परिवार सहित जान से मारने की धमकी दी। बोले, दोबारा अस्पताल में घुस मत जाना। अस्पताल में चक्कर मत लगाना। वरना भिवानी से रोहतक दूर है। तुम दोनों को तो रास्ते में ही निपटा देंगे।
गिरवी संपत्ति कब्जे में लेने का मिला नोटिस
मनजीत ने फर्जी दस्तावेज तैयार करके अपने आपको अधिकृत बनाकर ईसीएच पैनल की पेमेंट रुकवा दी। इन सब आरोपों के दस्तावेज व साक्ष्य स्पेस अस्पताल रोहतक व स्पेस अस्पताल भिवानी दोनों के लोन व चालू खाते की स्टेटमेंट इसमें दी गई है। बैंक की तरफ से गिरवी रखी संपत्ति को कब्जे में लेने व बेचने के बारे में नोटिस प्राप्त हुआ तो हमें फर्जीवाड़े का पता लगा। मंजीत, सतबीर सिंह ने अन्य के साथ मिलकर हमारे फर्जी हस्ताक्षर कर अस्पताल के खाते से करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा किया है। इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।