रॉबर्ट वाड्रा से आज भी पूछताछ करेगी ED

रॉबर्ट वाड्रा के विरुद्ध मनी लॉन्ड्रिंग के तीन अलग-अलग मामलों में ईडी जल्द ही आरोपपत्र दाखिल कर सकती है जिनकी जांच एजेंसी वर्षों से जांच कर रही है। सूत्रों ने बुधवार को बताया कि आरोपपत्र दाखिल करने के बाद ईडी संबंधित अदालतों से इन पर संज्ञान लेने और मुकदमा शुरू करने का अनुरोध करेगी।

ईडी ने बुधवार को वाड्रा से दूसरे दिन पूछताछ की
इन आरोपपत्रों में ईडी कुछ कंपनियों एवं व्यक्तियों को आरोपित एवं गवाहों के रूप में नामित कर सकती है। गुरुग्राम के शिकोहपुर में भूखंड सौदे में कथित वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े मामले में ईडी ने बुधवार को वाड्रा से दूसरे दिन पूछताछ की है। दो अन्य मामलों में भी वह पूर्व में उनसे पूछताछ कर चुकी है।

तीसरा मामला बीकानेर में भूमि सौदे से जुड़ा
एक अन्य मामला ब्रिटेन निवासी हथियार बिचौलिए संजय भंडारी के विरुद्ध मनी लॉन्ड्रिंग जांच एवं उसके वाड्रा से संबंधों से जुड़ा है। भंडारी 2016 में लंदन भाग गया था। मनी लॉन्ड्रिंग का तीसरा मामला बीकानेर में भूमि सौदे से जुड़ा है।

इस मामले में ईडी पूर्व में वाड्रा और उनकी मां मौरीन से पूछताछ कर चुकी है। इस मामले में पाकिस्तान सीमा के नजदीक संवेदनशील इलाके में भूमि आवंटन में कथित जालसाजी का आरोप है।

वाड्रा को जमीन बेचने वाले ने ही दिए थे रजिस्ट्री के पैसे
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा को जमीन बेचने वाले ने ही रजिस्ट्री के भी पैसे दिए थे। ईडी ने दूसरे दिन लगभग पांच घंटे की पूछताछ में वाड्रा के सामने इसके सुबूत रखे और जवाब मांगा। ईडी के अनुसार रजिस्ट्री के दिन वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हास्पिटालिटी के खाते में महज एक लाख रुपये थे। रजिस्ट्री में कारपोरेशन बैंक की नई दिल्ली शाखा का 7.5 करोड़ रुपये का चेक दिखाया गया था, उसे कभी भुनाया ही नहीं गया।

वाड्रा से गुरुवार को तीसरे दिन भी पूछताछ जारी रहेगी
वाड्रा से गुरुवार को तीसरे दिन भी पूछताछ जारी रहेगी। सूत्रों के अनुसार, वाड्रा के पास ईडी द्वारा रखे गए तथ्यों का कोई संतोषजनक जवाब नहीं था। ईडी ने वाड्रा को कागज दिखाकर कहा कि जमीन बेचने वाली कंपनी ओंकारेश्वर प्रोपर्टीज ने खुद ही रजिस्ट्री के लिए 45 लाख रुपये की स्टांप की ड्यूटी क्यों जमा की। दरअसल जिस दिन वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हास्पिटालिटी के नाम जमीन की रजिस्ट्री हुई उस दिन कंपनी के खाते में महज एक लाख रुपये थे।

जमीन की रजिस्ट्री को लेकर गोलमाल
यही नहीं, जो 7.5 करोड़ रुपये का चेक दिया गया, वह वाड्रा की दूसरी कंपनी स्काईलाइट रियलिटी का था, जिसके खाते में भी एक लाख रुपये ही थे। ईडी ने वह नई दिल्ली के कॉरपोरेशन बैंक का चेक नंबर(607251) भी वाड्रा को दिखाया।

12 फरवरी, 2008 को जमीन की रजिस्ट्री होने के पांच दिन बाद ही जमीन का भू-उपयोग बदलने का आवेदन लगाया गया था। उसके चार दिन बाद ही हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडा ने इसकी अनुमति दे दी थी और संबंधित विभाग ने 3.531 एकड़ जमीन में से 2.7 एकड़ जमीन पर कामर्शियल कालोनी विकसित करने की अनुमति भी दे दी थी।

जमीन को 58 करोड़ रुपये में डीएलएफ को बेचा गया
उसी के बाद इस जमीन को 58 करोड़ रुपये में डीएलएफ को बेचा गया। ईडी ने वाड्रा से इसके बारे में विस्तार से पूछताछ की। हैरानी की बात है कि जमीन की रजिस्ट्री होने के छह महीने बाद वाड्रा की कंपनी की ओर से ओंकारेश्वर प्रोपर्टीज को पैसे दिए गए। लेकिन वह रकम रजिस्ट्री में दिखाई गई कीमत 7.5 करोड़ रुपये के दोगुने से भी ज्यादा थी।

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