अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती के बीच गुरुवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 59 पैसे गिरकर रिकॉर्ड निचले स्तर 90.4675 पर आ गया, जो 4 दिसंबर को बने अपने अब तक के सबसे निचले स्तर 90.42 को भी पार कर गया। जोखिम से बचने के माहौल और आयातकों की ओर से डॉलर की बढ़ती मांग के कारण रुपये में और गिरावट आई। व्यापारियों का कहना है कि घरेलू बाजारों में सुस्ती और विदेशी निवेश की निरंतर निकासी के चलते स्थानीय मुद्रा में गिरावट जारी रहने की संभावना है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया थोड़ा मजबूत होकर 89.95 पर खुला, लेकिन जल्द ही अपनी बढ़त खो बैठा और बुधवार के 89.87 के बंद भाव की तुलना में गिरकर 90.41 पर आ गया।
क्या निवेशकों को अमेरिका-भारत ट्रेड डील की सहमति का इंतजार
निवेशक अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता से नए संकेतों की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जिससे प्रगति होने पर मुद्रा को अल्पकालिक समर्थन मिल सकता है।
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर ने सीनेट विनियोग उपसमिति को बताया कि द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के पहले चरण को अंतिम रूप देने के प्रयासों के तहत वाशिंगटन को भारत से अब तक के सबसे अच्छे प्रस्ताव मिले हैं। उन्होंने मक्का, सोयाबीन, गेहूं और कपास सहित कुछ अमेरिकी फसलों के आयात के प्रति भारत के विरोध का भी उल्लेख किया।
भारतीय निर्यात पर अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी व्यापार शुल्क तक की चुनौतियों का सामना करने के कारण रुपया 2022 के बाद से अपनी सबसे खराब वार्षिक गिरावट की ओर है।
क्या आएगी और गिरावट?
सरकार ने बुधवार को बताया कि भारत के वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक संबंधों पर चर्चा करने के लिए अमेरिकी उप व्यापार प्रतिनिधि रिक स्विट्जर से मुलाकात की।
भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद पर अमेरिका द्वारा लगाए गए दंडात्मक टैरिफ से राहत पाने की मांग के मद्देनजर, स्विट्जर दो दिवसीय व्यापार वार्ता के लिए नई दिल्ली में अमेरिकी टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। विश्लेषकों और बैंकरों का मानना है कि अमेरिका के साथ व्यापार समझौते के अभाव में रुपये को और भी अधिक नुकसान हो सकता है।
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