नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) ने साल 2018-19 में Reliance Capital के वित्तीय कामकाज का ऑडिट करने वाली एक कंपनी और दो ऑडिटर्स पर 4.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। NFRA ने इन सभी को प्रोफेशनल मिसकंडक्ट यानी अपने पेशे से विश्वासघात करने और भरोसा तोड़ने का दोषी पाया है। आइए जानते हैं कि रिलायंस कैपिटल का ऑडिट कैसे हुआ था और उसमें क्या गड़बड़ी थी।
नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) ने साल 2018-19 में Reliance Capital के वित्तीय कामकाज का ऑडिट करने वाली एक कंपनी और दो ऑडिटर्स पर 4.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। NFRA ने इन सभी को प्रोफेशनल मिसकंडक्ट यानी अपने पेशे से विश्वासघात करने और भरोसा तोड़ने का दोषी पाया है।
किन ऑडिटर्स पर लगा है जुर्माना
NFRA ने पाठक HD & एसोसिएट्स पर 3 करोड़ का फाइन लगाया है। वहीं, परिमल कुमार झा को 1 करोड़ और विशाल डी शाह को 50 लाख रुपये का जुर्माना देना होगा। साथ ही, झा 10 साल और शाह 5 साल तक किसी भी कंपनी ऑडिट नहीं कर सकेंगे।
वित्त वर्ष 2018-19 में जब रिलांयस कैपिटल का ऑडिट हुआ था, तो उस वक्त झा इंगेजमेंट पार्टनर (EP) और शाह इंगेजमेंट क्वॉलिटी कंट्रोल रिव्यू (EQCR) पार्टनर थे।
ऑडिट में क्या गड़बड़ी हुई थी?
वित्त वर्ष 2018-19 के लिए रिलायंस कैपिटल का ऑडिट प्राइस वाटरहाउस एंड Co LLP (PW) और पाठक HD एंड एसोसिएट्स ने संयुक्त रूप से किया था। PW ने अपनी रिपोर्ट में ग्रुप की कुछ कंपनियों ने लोन और इन्वेस्टमेंट के मामले में करीब 12,571 करोड़ रुपये के संदिग्ध फ्रॉड की जानकारी दी थी।
NFRA का कहना है कि एक ज्वॉइंट ऑडिटर (PW) ने कंपनी में संदिग्ध धोखाधड़ी और इस्तीफे की रिपोर्ट दी। लेकिन, अन्य ऑडिटर्स ने स्टैंडर्ड्स ऑफ ऑडिटिंग के मुताबिक जरूरी कदम नहीं उठाए। उन्होंने गैर-पेशेवर रवैया दिखाया, साथ ही अकाउंटिंग और ऑडिटिंग के मूल सिद्धांतों को नजरअंदाज किया।
उस समय रिलायंस कैपिटल का मालिकाना हक अनिल अंबानी ग्रुप के पास था। फिर दिवालिया होने के बाद रिजॉल्यूशन प्रोसेस के तहत इसे हिंदुजा ग्रुप में खरीद लिया।