एक अप्रैल से नया वित्त वर्ष शुरू होने के साथ ही नई आवासीय परियोजनाओं के मामले में घटी दर से जीएसटी लगेगा. अब नयी परियोजनाओं पर किफायती आवास श्रेणी में एक प्रतिशत तथा अन्य आवासीय श्रेणियों के लिये इनपुट टैक्स क्रेडिट सुविधा के बिना पांच प्रतिशत की दर से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगेगा. जीएसटी परिषद ने हाल में हुई अपनी बैठक में इस संबंध में निर्णय किया है. इसके साथ ही बिल्डरों को पहले से चल रही निर्माणाधीन आवासीय परियोजनाओं के मामले में पुरानी और नई कर दरों में से किसी एक को चुनने का एक बारगी विकल्प दिया गया है. जीएसटी परिषद की 34वीं बैठक में रीयल एस्टेट क्षेत्र की मदद के लिए निर्माणाधीन आवास परियोजनाओं पर नये कर ढांचे को लागू करने की योजना के सिलसिले में नियमों को मंजूरी दी गई थी.
नये नियमों के तहत बिल्डरों को मौजूदा निर्माणाधीन आवासीय परियोजनाओं के मामले में पुरानी दर से कर देने का एकबारगी विकल्प दिया जायेगा. ऐसी सस्ती आवासीय परियोजनाओं के लिये इनपुट टैक्स क्रेडिट सहित आठ प्रतिशत और अन्य श्रेणी की आवासीय परियोजनाओं के लिये इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी का भुगतान किया जा सकेगा.
इनमें उन परियोजनाओं को शामिल किया गया है जहां निर्माण कार्य और वास्तविक बुकिंग का काम एक अप्रैल 2019 से पहले शुरू हो चुका है और जो परियोजनायें 31 मार्च 2019 से पहले पूरी नहीं हो पायी हैं. इस निर्णय से बिल्डरों को पहले से चल रही परियोजनाओं के बिना बिके मकानों की बिक्री तेज करने में मदद मिलेगी. परिषद ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन परियोजनाओं में 15 प्रतिशत तक वाणिज्यिक गतिविधियों के लिये स्थान होगा उन्हें आवासीय संपत्ति माना जायेगा. इससे क्लब, रेस्त्रां तथा अन्य व्यावसायिक सुविधाओं वाली परियोजनाओं से जुड़े मुद्दे स्पष्ट हो जायेंगे.
किफायती श्रेणी में अधिक आवासीय इकाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये आयकर अधिनियम की धारा 80-आईबीए के तहत मिलने वाले लाभ को भी एक साल के लिये बढ़ा दिया गया है. इसके तहत 31 मार्च 2020 तक मंजूरी वाली आवासीय परियोजनाओं को यह लाभ उपलब्ध होगा.