नई दिल्ली। स्कॉर्पीन डाटा लीक मामले में फ्रेंच नेवी के एक पूर्व अधिकारी पर शक है। द ऑस्ट्रेलियन अखबार के मुताबिक फ्रेंच फर्म डीसीएनएस के लिए काम करने वाले अधिकारी ने इस पनडुबब्बी से जुड़ी जानकारियों को लीक किया है। ऐसा करने के पीछे उसका मकसद क्या था बता पाना मुश्किल है। इस बीच डीसीएनएस का कहना है कि फ्रेंच अथॉरिटी इस मामले की जांच कर तह तक जाने की कोशिश करेंगे कि आखिर इस लीक के पीछे कौन है। इसके अलावा पनडुब्बी से जुड़े डाटा कहां से लीक हुए हैं।
गौरतलब है कि भारतीय नौसेना की मारक क्षमता में भारी इजाफे के लिहाज से बन रही स्कॉर्पीन पनडुब्बी से जुड़ा संवेदनशील डाटा लीक होने का मामला सामने आया था। एक आस्ट्रेलियाई अखबार ने इससे संबंधित विवरण वाली रिपोर्ट छापी है। सैन्य सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील सूचनाओं की गंभीरता को देखते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने नौसेना प्रमुख से तत्काल इसकी जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है।
स्कॉर्पीन पनडुब्बी का निर्माण कर रही कंपनी से रिपोर्ट मांगी
वहीं नौसेना मुख्यालय ने कहा है कि यह लीक भारत से नहीं, बल्कि विदेश से हुआ है इसीलिए सरकार और नौसेना ने स्कॉर्पीन पनडुब्बी का निर्माण कर रही फ्रांसीसी कंपनी डीसीएनएस से लीक पर रिपोर्ट मांगी है।
‘द ऑस्ट्रेलियन’ अखबार ने दावा किया है कि उसके पास प्रोजेक्ट की 22,439 पेज की गोपनीय रिपोर्ट है जिसमें सारी अहम जानकारियां हैं। ये अत्याधुनिक पनडुब्बियां फ्रांस के साथ 3.5 अरब डॉलर (लगभग 234 अरब रुपए) के रक्षा करार के तहत बनाई जा रही हैं।
मुंबई की मझगांव गोदी में इन पनडुब्बियों का निर्माण किया जा रहा है। एक स्कॉर्पीन पनडुब्बी बन चुकी है। उसका समुद्र में परीक्षण चल रहा है। दूसरी का निर्माण चल रहा है। पहली पनडुब्बी इस साल के अंत तक नौसेना को सौंपी जानी है।
यदि लीक हुई जानकारियां वास्तविक हुईं तो भारत की रक्षा तैयारियों को बड़ा झटका लगेगा। यही नहीं, अगर इसकी पूरी जानकारी पाकिस्तान या चीन के हाथ पड़ गई तो भारत की सुरक्षा को खतरा भी पहुंचेगा।
दुनिया की सबसे मारक पनडुब्बी
दुनिया में यह अपनी तरह की सबसे मारक और कारगर पनडुब्बी मानी जाती है जो पानी के अंदर से ही दुश्मन की टोह लेकर उसे ध्वस्त कर सकती है। इसीलिए नौसेना की ताकत को बढ़ाने के लिए लंबे समय तक चली जद्दोजहद के बाद फ्रांसीसी कंपनी से हुए स्कॉर्पीन सौदे की बेहद खास अहमियत है।
तुरंत सक्रिय हुई सरकार
आस्ट्रेलियाई अखबार ने अपनी वेबसाइट पर इसे जैसे ही डाला और भारतीय रक्षा तंत्र को इसकी जानकारी मिली तो आधी रात में ही रक्षा मंत्री पर्रिकर सक्रिय हो गए। उन्होंने नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा से पूरे मुद्दे की जांच करने को कहा।
पर्रिकर ने कहा कि अभी यह मालूम नहीं हो सका है कि हैकिंग के जरिये लीक हुआ है या किसी दूसरे तरीके से। लेकिन ‘हमें लगता है कि हैकिंग हुई है। इसलिए हम पूरी तह तक जाएंगे।’ रक्षा मंत्री ने कहा कि यह लीक सौ फीसद सही हो, यह जरूरी नहीं क्योंकि स्कॉर्पीन पनडुब्बी परियोजना के निर्माण से जुड़ा अहम अंतिम समायोजन भारत को ही करना है।
फ्रांस ने भी दिए जांच के आदेश
लीक की इन खबरों के बाद फ्रांस ने भी इसकी जांच के आदेश दिए हैं। इस बीच, दिल्ली में नौसेना मुख्यालय ने कहा है कि उपलब्ध सूचनाओं की विशेषज्ञों से पड़ताल कराई जा रही है। इसमें ऐसा लगता है कि यह लीक भारत से नहीं बल्कि विदेशी धरती से ही हुआ है।
22 हजार से अधिक पृष्ठों के इस लीक में इस पनडुब्बी के निर्माण से लेकर इसकी समुद्र के अंदर तक जाने की गहराई, आवेग और मारक क्षमता से जुड़ी सूचनाओं का खुलासा किया गया है।
कहीं कॉरपोरेट वार तो नहीं
डीसीएनएस को ऑस्ट्रेलिया में भी इन्हीं पनडुब्बियों के निर्माण का 50 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का ठेका मिला है। हो सकता है, ठेका पाने में विफल कंपनियों ने ‘कॉरपोरेट वार’ के तहत साजिश रचकर ये डाटा लीक किए हों।
कंपनी पुष्टि नहीं कर रही
डीसीएनएस के प्रवक्ता का कहना है कि सारे संसाधन झोंककर जानकारियां जुटाई जा रही हैं कि कथित तौर पर लीक हुई जानकारी कितनी सही है। लीक पेज पनडुब्बी के संचालन के लिए बनाए गए पूर्ण दस्तावेज (ऑपरेटिंग मैनुअल) का हिस्सा हैं। लीक दस्तावेजों में से एक 15 जनवरी, 2011 का है। इसका शीर्षक ‘रेसट्रिक्टेड स्कार्पीन इंडिया’ है।