अभी-अभी: राहुल संग राष्ट्रपति से मिला विपक्ष, कहा- CBI पर भरोसा नहीं, लोया केस की SIT करे जांच

अभी-अभी: राहुल संग राष्ट्रपति से मिला विपक्ष, कहा- CBI पर भरोसा नहीं, लोया केस की SIT करे जांच

सीबीआई जज बृजगोपाल हरकिशन लोया की मौत मामले की निष्पक्ष जांच की मांग लेकर विपक्ष के नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की. विपक्षी नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुआई में  इससे संबंधित ज्ञापन भी राष्ट्रपति को सौंपा. विपक्ष की मांग है कि इस मामले की जांच मौजूदा सुप्रीम कोर्ट के जज की अगुआई में एसआईटी (विशेष जांच दल) से कराई जाए.अभी-अभी: राहुल संग राष्ट्रपति से मिला विपक्ष, कहा- CBI पर भरोसा नहीं, लोया केस की SIT करे जांच

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, पी चिदंबरम, सीपीएम के डी राजा, टीएमसी के इदरिश अली, मनीष गुप्ता, संजय सिंह और बजरुद्दीन अजमल  जज लोया मौत की जांच से जुड़ा ज्ञापन सौंपने शुक्रवार की शाम राष्ट्रपति भवन पहुंचे.

विपक्ष को CBI पर भरोसा नहीं

राहुल गांधी ने बताया कि राष्ट्रपति को सौंपे ज्ञापन पर करीब 115 सांसदों और 15 राजनीतिक दलों ने हस्ताक्षर किए हैं. कई सांसदों को शक है क्योंकि जज लोया की मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई. वहीं कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें सीबीआई पर भरोसा नहीं है, इसलिए एसआईटी जांच की मांग की गई है.

गौरतलब है कि विपक्षी पार्टियां जज लोया की मौत पर पहले ही निष्पक्ष जांच की मांग कर चुकी हैं. सुप्रीम कोर्ट के चार जजों द्वारा इस मसले पर उठाए गए सवालों के बाद राहुल गांधी ने भी मीडिया से बात की थी. उन्होंने तब अपील की थी कि चारों जजों के आरोप बेहद अहम है. जज लोया मामले की जांच सही तरीके से होनी चाहिए. राहुल ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के शीर्ष स्तर पर जज लोया के मामले की जांच होनी चाहिए, जो हमारा लीगल सिस्टम है, उस पर हम विश्वास करते हैं. एक गंभीर बात उठी है, इसलिए हम ये बात कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच कर रही है. पिछली सुनवाई में CJI ने कहा था कि वह सिर्फ जज लोया की मौत से जुड़े मामले पर सुनवाई करेंगे. उससे जुड़े किसी अन्य मुद्दे पर सुनवाई नहीं करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले से जुड़ी सभी याचिकाओं को हाईकोर्ट से उनके पास ट्रांसफर करने को कहा था.

क्या है पूरा मामला? 

बता दें कि जस्टिस लोया बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख मामले की सुनवाई कर रहे थे. 2005 में सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर को गुजरात पुलिस ने अगवा किया और हैदराबाद में हुई कथित मुठभेड़ में उन्हें मार दिया गया था. सोहराबुद्दीन मुठभेड़ के गवाह तुलसीराम की भी मौत हो गई थी. इस मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का भी नाम जुड़ा था.

मामले से जुड़े ट्रायल को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में ट्रांसफर किया था. इस मामले की सुनवाई पहले एक अन्य जज कर रहे थे, लेकिन इस मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के पेश नहीं होने पर उन्होंने नाराजगी व्यक्त की थी, जिसके बाद उनका तबादला हो गया. फिर जस्टिस लोया के पास इस मामले की सुनवाई आई.

दिसंबर, 2014 में जस्टिस लोया की नागपुर में मौत हो गई थी, जिसे संदिग्ध माना गया था. जस्टिस लोया की मौत के बाद जिस जज ने इस मामले की सुनवाई की, उन्होंने अमित शाह को मामले में बरी कर दिया था.

हाल ही में कुछ समय पहले एक मैग्जीन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि जस्टिस लोया की मौत साधारण नहीं थी बल्कि संदिग्ध थी. जिसके बाद से ही यह मामला दोबारा चर्चा में आया. लगातार इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी भी जारी रही है. हालांकि, जज लोया के बेटे अनुज लोया ने कुछ दिन पहले ही प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे को बड़ा करने पर नाराजगी जताई थी. अनुज ने कहा था कि उनके पिता की मौत प्राकृतिक थी, वह इस मसले को बढ़ावा नहीं देना चाहते हैं.

अमित शाह भी दे चुके हैं जवाब

एजेंडा आजतक 2017 के मंच पर अमित शाह ने इस मुद्दे पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा था कि कारवां मैग्जीन ने जस्टिस लोया की मौत को लेकर खबर छापी, तो दूसरी ओर एक अंग्रेजी अखबार ने भी खबर छापी. जिसको भी संदेह है वो तथ्य देख ले. क्या ये उनके खिलाफ कोई राजनीतिक षड्यंत्र है? इस सवाल पर अमित शाह ने कहा कि मैं ऐसा कुछ नहीं कहना चाहता. मैं क्यों पचड़े में पड़ूं? जिसको भी संदेह है वो नागपुर जाकर देख ले.

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