पन्नी बीनने वाले के होनहार बेटे आशाराम के एम्स में सिलेक्शन पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक पत्र लिखकर उन्हें बधाई दी है। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में बड़ी सफलता पाने पर उन्हें सराहा और जज्बे की तारीफ की। राहुल ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि आपसे दूसरे बच्चों को भी प्रेरणा मिलेगी। अपोलो अस्पताल ने 20 हजार रुपए देकर आशाराम की आर्थिक मदद की, इसके साथ ही क्षेत्रीय विधायक ने उनके लिए कपड़े पहुंचाए।
आशाराम चौधरी ने अभावों के बीच कड़ी मेहनत और लगन से सफलता के उस शिखर को छुआ, जिस पर सुविधा संपन्न परिवार के किसी भी युवा को रश्क हो सकता है। दो माह पहले आयोजित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) की प्रतिष्ठित चयन परीक्षा में उन्होंने साढ़े 4 लाख परीक्षार्थियों के बीच 707वीं और ओबीसी श्रेणी में 2 लाख विद्यार्थियों के बीच 141वीं रैंक हासिल की है।
उन्होंने जोधपुर के मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में एडमिशन ले लिया है और डॉक्टर बनने के सपने को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। 23 जुलाई को एमबीबीएस की पहली कक्षा अटेंड करेगा। देवास से लगभग 40 किमी दूर विजयागंज मंडी में रणजीत चौधरी और ममता बाई के घर वर्ष 2000 में जन्मे आशाराम ने बचपन से ही अपने घर में मुफलिसी को करीब से देखा है।
घर के नाम पर चौधरी परिवार के पास घास-फूस का एक झोपड़ा है। पिता पन्नियां बीनकर और खाली बोतलें जमाकर घर का खर्च चलाते हैं। कभी-कभी खेतों में काम भी करना पड़ता है। उनके पास जमीन के नाम पर छोटा सा टुकड़ा तक नहीं है। वे कहते हैं कि जायदाद तो उनका हीरे जैसा बेटा आशाराम ही है। मां गृहिणी है। एक छोटा भाई है जो नवोदय विद्यालय में 12 की पढ़ाई कर रहा है।
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