राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की राष्ट्रीय स्तर की रैंकिंग में उत्तराखंड के पिछड़ने से न सिर्फ प्रदेश की साख खराब हुई है, बल्कि इस खराब प्रदर्शन का खामियाजा हमें बजट की कटौती के रूप में भी भुगतना पड़ेगा। खराब प्रदर्शन के चलते राज्य के बजट में तकरीबन 12 करोड़ रुपये की कटौती कर दी जाएगी।

रैंकिंग में उत्तराखंड को ऋणात्मक मार्किंग मिलने के पीछे नीति आयोग की आधार वर्ष 2017 की रिपोर्ट का भी बड़ा हाथ रहा। 40 अंकों की इस रिपोर्ट में उत्तराखंड में 16 ऋणात्मक अंक मिले और इस भारी गिरावट की भरपाई नहीं की जा सकी। प्रदेश पर कुल 08 ऋणात्मक अंक की पैनाल्टी लगी है। ऐसे में स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में उत्तराखंड की चुनौती और भी बढ़ गई है।
राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहतर बनाने के मकसद से स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले साल रैकिंग शुरू की थी। यह एक तरह का परफार्मेंस बेस्ड सिस्टम है। जिसमें अच्छे प्रदर्शन पर इंसेंटिव और खराब पर दंड का प्रावधान है। दरअसल, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कुल बजट का 20 फीसदी ‘इंसेंटिव पूल’ के तहत रखा जाता है।
जिसका मकसद राज्यों के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा स्थापित करना है। पर इस प्रतिस्पर्धा में उत्तराखंड फिसड्डी साबित हुआ है। सात सूचकांक के आधार पर तैयार रिपोर्ट तैयार की में उत्तराखंड सबसे खराब प्रदर्शन वाले राज्यों में शुमार है। इसका एक बड़ा कारण स्वास्थ्य सूचकांक पर खरा ना उतरना है।

उत्तराखंड में एनएचएम के नाम पर समानांतर व्यवस्था तो खड़ी कर दी गई पर एनएचएम रैकिंग ने अब इस पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दरअसल, यहां अधिकारियों की भारी भरकम फौज से लेकर तमाम संसाधन उपलब्ध हैं। एक-एक योजना की बारीक मॉनीटरिंग तक की जाती है। केंद्र से बजट भी भारी भरकम मिल रहा है। बावजूद इसके प्रदर्शन खराब रहे तो सवाल उठना लाजिमी है।
गुजरात के बाद उत्तराखंड दूसरा ऐसा राज्य है, जहां एनएचएम का अपना अलग भवन है। यह नया भवन स्वास्थ्य महानिदेशालय में ही तीसरे तल पर है। करीब छह करोड़ की लागत से किसी कॉरपोरेट कंपनी के दफ्तर की तरह इसे बनाया गया है। स्थिति ये कि बिल्डिंग का मुख्य द्वार भी रिमोट कंट्रोल से संचालित होता है। दिखने में यह कॉरपोरेट ऑफिस है, पर काम सरकारी ढर्रे पर ही चल रहा है।
एनएचएम में कई नियुक्तियां नियम-कायदों को ताक पर रख दी गई। कांट्रेक्ट के नाम पर यहां मानकों की तमाम धज्जिायां उड़ाई जा रही हैं। कांट्रेक्ट के नाम पर तमाम ऐसे पद सृजित कर दिए गए, जिनकी आवश्यकता ही नहीं है।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal