राष्ट्रपति मुर्मु ने शिक्षकों को किया सम्मानित, बोलीं- महिला सम्मान सिर्फ शब्दों में नहीं

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने देश के 82 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से नवाजा। इनमें स्कूलों में पढ़ाने वाले चयनित 50 शिक्षक 28 राज्यों तीन केंद्र शासित प्रदेशों और छह संगठनों से हैं। इनमें 34 पुरुष 16 महिलाएं हैं। इनके अलावा उच्च शिक्षण संस्थानों और कौशल विकास में पढ़ाने वाले 16-16 शिक्षक भी सम्मानित किए गए। राष्ट्रपति ने शिक्षकों की तुलना एक अच्छे मूर्तिकार से की।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि महिला सम्मान केवल शब्दों में नहीं, बल्कि व्यवहार में लाने की जरूरत है। किसी भी समाज के विकास का एक महत्वपूर्ण मानक महिलाओं की स्थिति है। ऐसे में अभिभावकों व शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को ऐसी शिक्षा दें कि वे सदैव महिलाओं की गरिमा के अनुकूल आचरण करें।

राष्ट्रपति की टिप्पणी ऐसे समय आई है जब बंगाल की घटना से महिला सुरक्षा-सम्मान को लेकर नए सिरे से चर्चा छिड़ी है। मुर्मु गुरुवार को शिक्षक दिवस पर राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान समारोह को संबोधित कर रही थीं।

82 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से नवाजा
उन्होंने देश के 82 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से नवाजा। इनमें स्कूलों में पढ़ाने वाले चयनित 50 शिक्षक 28 राज्यों, तीन केंद्र शासित प्रदेशों और छह संगठनों से हैं। इनमें 34 पुरुष, 16 महिलाएं हैं। इनके अलावा उच्च शिक्षण संस्थानों और कौशल विकास में पढ़ाने वाले 16-16 शिक्षक भी सम्मानित किए गए।

राष्ट्रपति ने कहा-‘ मैं भी शिक्षक रही हूं। जब मैं शिक्षकों-बच्चों के बीच होती हूं तो मेरे अंदर का शिक्षक जीवंत हो जाता है। जीवन की सार्थकता इस बात में निहित है कि हम दूसरों की भलाई के लिए काम करें। यह बात बच्चों को ठीक से समझाना आपकी जिम्मेदारी है। आपको ऐसे नागरिक तैयार करने हैं जो शिक्षित होने के साथ संवेदनशील, ईमानदार और उद्यमी भी हों। ‘ राष्ट्रपति ने शिक्षकों की तुलना एक अच्छे मूर्तिकार से की।

आज के छात्र ही कल के विकसित भारत का नेतृत्व करेंगे- राष्ट्रपति
आगे कहा ‘यदि कोई बच्चा यदि अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता है तो इसमें शिक्षण व्यवस्था और शिक्षकों की ज्यादा बड़ी जिम्मेदारी होती है। किसी की सफलता में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका शिक्षक की होती है।’ उन्होंने शिक्षकों से कहा कि वह अपने ज्ञानार्जन की प्रक्रिया निरंतर बनाए रखें। इससे अध्यापन अधिक रूचिकर-प्रासंगिक बना रहेगा। आज के छात्र ही कल के विकसित भारत का नेतृत्व करेंगे।

इनके नवाचार को मिला सम्मान

बिहार में मधुबनी जिले के शिवगंगा बालिका उच्च विद्यालय की शिक्षिका डा. मीनाक्षी कुमारी छात्राओं को शिक्षित करने के साथ-साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए मिथिला पेंटिंग्स, सिलाई-कटाई का निशुल्क प्रशिक्षण देकर मनोबल बढ़ाती हैं। स्वच्छता की मुहिम चलाकर छात्राओं को सेनेटरी पैड की अहमियत समझाई। वह 2019 से बाल विवाह रोकने के लिए विद्यालय की छात्राओं व उनके स्वजन को जागरूक कर रही हैं। अब तक 80 से अधिक बाल विवाह को रोकने में सफल रही हैं।

राजस्थान के सरकारी स्कूल के शिक्षक हुकम चंद चौधरी ने कम लागत वाली परियोजना आधारित तकनीकों निर्माण किया। इनमें री-साइकिल मैटेरियल से निर्मित स्वचालित स्कूल घंटी और व्हाट्सएप पर प्रश्नों के उत्तर देने के लिए एआइ संचालित चैटबाट शामिल हैं।

राजस्थान के ममता माडर्न सीनियर सेकेंडरी स्कूल की प्रिंसिपल पल्लवी शर्मा ने मैथ्स और साइंस पार्क, फंडामेंटल लिटरेसी लेबोरेट्ररी और हैप्पीनेस लैब ‘ खुशीशाला’ का निर्माण किया।

दक्षिण गोवा के सत्यवती सोइरू एंगल हायर सेकेंडरी स्कूल की शिक्षिका चंद्रलेखा दामोदर मेस्त्री ने प्राइमरी विद्यार्थियों के बीच भाषा संबंधी अंतर को पाटा। उन्होंने नवीन, कम लागत वाली शिक्षण सहायक सामग्री तैयार की तथा सीखने के प्रति रुचि पैदा करने के लिए पुस्तकों और लेखन सामग्री के साथ घर-घर जाकर लोगों से मुलाकात की।

महाराष्ट्र के कोल्हापुर स्थित साउ एसएम लोहिया हाई स्कूल के शिक्षक सागर चित्तरंजन ने अनाथों, आदिवासियों, युवा एचआइवी रोगियों और दिव्यांगों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए कई सामाजिक कार्यक्रम किए।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की के सुमा को सरकारी स्कूलों के बुनियादी ढांचे में सुधार और नामांकन बढ़ाने के लिए अवार्ड से नवाजा गया।

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