अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन कार्यक्रम संपन्न हो गया लेकिन क्या इससे अयोध्या में भगवान राम को स्थाई निवास मिल गया है? श्रीराम तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सूत्रों की मानें तो मंदिर के काम पूरे होने में साढ़े तीन साल का वक्त लग सकता है. बता दें, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने मंदिर निर्माण के लिए इस ट्रस्ट का गठन किया है.
विश्व हिंदू परिषद् के पुराने कार्यकर्ता चंपत राय मंदिर निर्माण कमेटी के मुख्य आयोजनकर्ता हैं. उन्होंने मीडिया को बताया कि मंदिर निर्माण के लिए साफ-सफाई और बुनियाद का काम शुरू होने वाला है. जो लोग इस काम से वाकिफ हैं, उनका मानना है कि मॉनसून के दौरान बुनियाद का काम शुरू होना मुश्किल है. बारिश की वजह से यह काम और धीमा पड़ सकता है.
चंपत राय ने बताया कि मंदिर के प्लिंथ और ग्राउंड फ्लोर के काम में 18 महीने तक लग सकते हैं. मंदिर के डिजाइन टीम के एक सदस्य का कहना है कि प्लिंथ और ग्राउंड फ्लोर का निर्माण ही सबसे मुश्किल काम होता है.
हालांकि कमेटी को भरोसा है कि यह काम आसानी से कर लिया जाएगा क्योंकि इसके स्लैब वीएचपी कार्यशाला में पहले से तैयार हैं. ग्राउंड फ्लोर से ऊपर की दो मंजिल बनने में 14-18 महीने का वक्त लग सकता है. अगले छह महीने मंदिर के अंतिम कार्यों में लगेंगे. इसमें 161 फीट के शिखर का काम शामिल है. मंदिर में 5 गुंबद के निर्माण किए जा सकते हैं जिसमें ज्यादा से ज्यादा वक्त लगेगा.
मंदिर निर्माण में स्थानीय और निगम के नियमों का भी पूरा पालन किया जाना है. मंदिर का डिजाइन फाइनल हो गया है जिसे क्लीयरेंस के लिए अयोध्या विकास प्राधिकरण को सौंपा जाएगा. मंदिर निर्माण कमेटी ने इसके लिए 2 करोड़ रुपये चंदा स्वरूप जुटा भी लिए हैं जिसे क्लीयरेंस के शुल्क के रूप में चुकाया जाएगा.
निर्माण कार्य में कोविड के चलते भी दिक्कतें आ रही हैं. कमेटी ने तय किया है कि मंदिर निर्माण में कोई सरकारी अनुदान नहीं लिया जाएगा. वीएचपी को चंदा जुटाने के काम में लगाया गया है, जिसे इस काम में 35 साल का अनुभव है.
विश्व हिंदू परिषद् मंदिर निर्माण में चंदा जुटाने के लिए बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंचने वाला था. परिषद् की योजना थी कि 10-15 करोड़ लोगों से चंदा वसूला जाएगा लेकिन कोरोना के कारण यह काम काफी धीमा पड़ गया है. परिषद् इस इंतजार में है कि महामारी का दौर थमे और चंदा जुटाने का काम तेज किया जाए.
मंदिर कितने दिनों में तैयार होना है, इसका अंतिम फैसला बीजेपी और आरएसएस के बड़े नेताओं को लेना है. अगर साढ़े तीन साल में मंदिर बन जाए तो यह 2024 तक पूरा हो जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए यह सही समय होगा क्योंकि उनका उस वक्त तीसरा कार्यकाल सामने आ सकता है. हालांकि आरएसएस की चिंता 2022 के विधानसभा चुनावों की भी है जिसका असर 2024 के लोकसभा चुनाव पर देखा जा सकता है. इसे देखते हुए बीजेपी मंदिर निर्माण में तेजी पर जोर लगा सकती है.