हमें जीवन देने वाला परमात्मा है। इसलिए हमें नित्य परमात्मा का ध्यान करना चाहिए। जितनी चिंता हमें अन्य कार्यों की होती है, उससे अधिक चिंतन परमात्मा का करना चाहिए, तो जीवन धन्य हो जाएगा। यह बात मेहगांव क्षेत्र के गहेली गांव के मंगलनाथ महादेव मंदिर पर चल रहे 3 दिवसीय प्रवचन व संत सम्मेलन के दूसरे दिन रामअवतार शास्त्री ने कही।
शास्त्री ने कहा कि राम का चरित्र हमें जीवन जीने की कला सिखाता है। भगवान एक हैं, लेकिन उनके रूप अनेक हैं। जिसके अनेक रूप और हर रूप की लीला अदभुत है।
प्रेम को परिभाषित करने वाले इस माधव ने जिस क्षेत्र में हाथ रखा वहीं कीर्तिमान स्थापित किए हैं।शास्त्री ने कहा कि व्यक्ति को अगर अपनी इच्छा शक्ति को मजबूत रखना है तो वह मन में अच्छे विचारों के बीज बोए, जिससे मन जागृत होगा और जीवन को समझने का ज्ञान प्राप्त होगा।
हर आत्मा में परमात्मा हैं। लोग स्वाद की तरफ जाते हैं स्वास्थ्य की तरफ नहीं। अगर मन अच्छा होगा तो खुशी, सेहत, शांति अपने आप प्राप्त होगी जिस प्रकार वृक्ष के मूल में जल डालने से उसके स्कंध शाखा उपशाखा पत्ते, फल-फूल तृप्त हो जाते हैं। आहार में पेट डालने से इंद्रियां तृप्त हो जाती हैं।
श्रीराम जी ने यही शिक्षा और संस्कार दिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सुख और दुख आते हैं। ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं जिसने अपार सुख भोगा हो और उसे दुख न सताए। जिस व्यक्ति का जीवन दुखों से शुरू होता है, वह जीवन में सुख का मूल्य भलि भांति जानता है। इस जीवन में सच्ची श्रद्घा से की गई भक्ति से दुख को दूर करने की अपार शक्ति मिलती है।
रामभूषणदास महाराज ने कहा कि भगवान के 24 अवतार कहे गए हैं। इनमें हिंसक पशु ऐसा न माने भगवान हमारे नहीं हैं। इसलिए भगवान ने नरसिंह रूप लिया। जलचर जीव, मत्स्य और कुर्म आदि के अवतार लिए।
पक्षी भी भगवान को माने इसलिए हंस अवतार लिया। भगवान सबके हैं इसलिए भगवान ने 24 अवतारों के अलावा समय आने पर अनेक अवतार लिए। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को अगर अपनी इच्छा शक्ति को मजबूत रखना है तो वह मन में अच्छे विचारों के बीज बोए, जिससे मन जागृत होगा और जीवन को समझने का ज्ञान प्राप्त होगा।
हर आत्मा में परमात्मा हैं।लोग स्वाद की तरफ जाते हैं स्वास्थ्य की तरफ नहीं। अगर मन अच्छा होगा तो खुशी, सेहत, शांति अपने आप प्राप्त होगी।