राफेल लड़ाकू विमान सौदे मामले में मोदी सरकार को बड़ी राहत मिली है. भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल विमान सौदे पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्टआज (14 दिसंबर) अहम फैसला सुनाया. सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की सुनवाई की. डील पर उठाए जा रहे सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सौदे पर कोई संदेह नहीं है. इसके साथ ही कोर्ट ने सौदे को लेकर दायर की गई, सभी जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सवाल खड़े कर दिए हैं.
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि मेरा मानना है कि राफेल लड़ाकू विमान सौदे मामले पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय पूरी तरह गलत है. उन्होंने कहा कि सौदे को लेकर शुरू किया अभियान सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद भी नहीं रोका जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद हम पुर्नविचार याचिका दायर करने की संभावनाओं पर जल्द ही निर्णय ले सकते हैं.
आपको बता दें कि राफेल विमान सौदे पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसदा दिया. सीजेआई रंजन गोगोई ने सुनवाई के दौरान कहा है कि इस सौदे की प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट को कोई भी गड़बड़ी नहीं मिली है. इसलिए इसकी एसआईटी जांच नहीं होगी.
सीजेआई ने कहा कि राफेल विमान सौदे में कीमतों की जांच सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है. हम कुछ लोगों की धारणा के आधार पर फैसला नहीं दे सकते हैं. राफेल सौदे में कोई धांधली या अनियमितता नहीं है. राफेल विमान की गुणवत्ता पर कोई शक नहीं है. देश को अच्छे विमानों की जरूरत है तो राफेल डील पर सवाल क्यों ? आपको बता दें कि राफेल मामले में दो वकील एमएल शर्मा और विनीत ढांडा के अलावा एक गैर सरकारी संस्था ने जनहित याचिकाएं दाखिल कर सौदे पर सवाल उठाते हुए इसे रद्द करने की मांग की थी.
एनडीए सरकार पर राफेल सौदे को लेकर विपक्षियों ने आरोप लगाया कि हर विमान को करीब 1,670 करोड़ रुपये में खरीद रही है, जबकि यूपीए सरकार जब 126 राफेल विमानों की खरीद के लिए बातचीत कर रही थी तो उसने इसे 526 करोड़ रुपये में अंतिम रूप दिया था. सुप्रीम कोर्ट में दो वकीलों एमएल शर्मा और विनीत ढांडा के अलावा एक गैर सरकारी संस्था ने जनहित याचिकाएं दाखिल कर सौदे पर सवाल उठाए हैं.