राज्यसभा सीट के लिए कांग्रेस में मारामारी, सैम पित्रोदा और जनार्दन द्विवेदी के नाम पर कर्नाटक की ना

राज्यसभा सीट के लिए कांग्रेस में मारामारी, सैम पित्रोदा और जनार्दन द्विवेदी के नाम पर कर्नाटक की ना

राज्यसभा की खाली हो रही सीटों के लिए कांग्रेस में दावेदारों के बीच मारामारी की स्थिति है। राज्यों में पर्याप्त संख्या बल नहीं होने और कार्यकाल खत्म कर रहे सदस्यों को फिर से मौका देने के दबाव के चलते शीर्ष नेतृत्व की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी टीम के कुछ सदस्यों को भी मौका देना चाहते हैं। राज्यसभा सीट के लिए कांग्रेस में मारामारी, सैम पित्रोदा और जनार्दन द्विवेदी के नाम पर कर्नाटक की ना

कर्नाटक ने सैम पित्रोदा और जनार्दन द्विवेदी के नाम को मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। सूत्रों की मानें तो राहुल ने पित्रोदा और द्विवेदी के लिए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से बात की थी लेकिन उन्होंने जो तर्क दिए, उसे राहुल भी खारिज नहीं कर सके। सिद्धारमैया का कहना था कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले किसी बाहरी नेता को राज्यसभा भेजना ठीक नहीं होगा। राज्य से तीन सीटों पर कांग्रेस जीत सकती है।

 
अब पित्रोदा को गुजरात से राज्यसभा भेजने पर विचार हो रहा है। राज्य से पार्टी दो सदस्यों को राज्यसभा भेज सकती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राहुल और कांग्रेस की छवि चमकाने में पित्रोदा अहम भूमिका निभा रहे हैं। वहीं सोनिया के करीबी द्विवेदी का कार्यकाल दिसंबर को खत्म हो चुका है तथा वह एक और कार्यकाल चाहते हैं। जबकि गुजरात से प्रदेश अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी को अच्छे नतीजों का इनाम दिया जाना है। 

बिहार और बंगाल में अन्य दलों से लेगी मदद

कांग्रेस पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की मदद से एक सीट हासिल करना चाहती है। ममता के अपने सदस्यों को चुनने के बाद नौ वोट अतिरिक्त हैं। सांसद राजीव शुक्ला का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है। वह महाराष्ट्र से चुनकर आए थे लेकिन इस बार वहां से स्थानीय नेता को भेजने की मांग उठ रही है।

ऐसे में राजीव को पश्चिम बंगाल के रास्ते राज्यसभा भेजा जा सकता है। इसके लिए तृणमूल और वामदल का साथ भी लिया जा सकता है। 

कांग्रेस अपने 27 विधायकों और राजद के अतिरिक्त सात विधायकों के दम पर एक सीट बिहार से भी लाना चाहती है। जीतनराम मांझी के आने से भी महागठबंधन को मजबूती जरूर मिली है। लेकिन कांग्रेस अपने चार विधायकों को लेकर चिंतित है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक चौधरी के साथ पार्टी के चार एमएलसी के चले जाने के बाद कुछ अन्य विधायक भी बगावत कर सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस वहां पार्टी से इतर ऐसे व्यक्ति को उम्मीदवार बनाना चाहती है जो अपने प्रयास से जीतकर आ सके। 

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