कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने गुरुवार को कहा कि संविधान सर्वोच्च है और वीपी के विचार एक चेतावनी संकेत भी देहने के लिए मिले है. खबरों का कहना है कि एक दिन पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के संसदीय वर्चस्व पर जोर भी दे दिया है. चिदंबरम ने बोला है कि, राज्यसभा के सभापति गलत हैं, जब वह कहते हैं कि संसद सर्वोच्च है. संविधान सर्वोच्च है.
इसे बताया चेतावनी: उन्होंने बोला है कि यह चेतावनी हो सकती है, वास्तव में सभापति के विचारों को प्रत्येक संविधान-प्रेमी नागरिक को आने वाले खतरों के प्रति चेतावनी के रूप में लेना जरुरी है. उन्होंने बोला है कि संविधान के मूलभूत सिद्धांतों पर बहुसंख्यकों द्वारा संचालित हमले को रोकने के लिए मूल संरचना सिद्धांत विकसित भी किया जा चुका है.
चिदंबरम ने पूछे सवाल: उन्होंने प्रश्न भी कर दिया है, मान लें कि संसद, बहुमत से, संसदीय प्रणाली को राष्ट्रपति प्रणाली में बदलने के लिए मतदान करती है या राज्य सूची को निरस्त भी कर दी गई थी और राज्यों की विशेष विधायी शक्तियों को छीन लेती है. क्या ऐसे संशोधन मान्य होने वाले है?
क्या कहा था उपराष्ट्रपति ने: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को दोहराया कि संविधान में संशोधन करने और कानून से निपटने के लिए संसद की शक्ति किसी अन्य प्राधिकरण के अधीन नहीं बताया जा रहा है और सभी संवैधानिक संस्थानों – न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका को अपने-अपने तक सीमित रखने की जरूरत है. उपराष्ट्रपति उपराष्ट्रपति ने बोला है कि, जब विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका संवैधानिक लक्ष्यों को पूरा करने और लोगों की आकांक्षाओं को साकार करने के लिए मिलकर काम करती हैं तो लोकतंत्र कायम भी कर रखा है और फलता-फूलता है. न्यायपालिका उसी प्रकार कानून नहीं बना सकती, जिस प्रकार विधानमंडल एक न्यायिक फैसले को नहीं लिख पाएगा.
वे बुधवार को राजस्थान विधानसभा में 83वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन को संबोधित भी कर रहे है. उपराष्ट्रपति ने बोला है उपराष्ट्रपति ने बोला है कि, संविधान में संशोधन करने और कानून से निपटने की संसद की शक्ति किसी अन्य प्राधिकरण के अधीन नहीं है. यह लोकतंत्र की जीवन रखा है.