तमाम दिग्गजों को चौंकाकर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली की खाली सीट पर राज्यसभा का टिकट पाने वाले सुधांशु त्रिवेदी ने शुक्रवार को भाजपा प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन किया। नामांकन का आज अंतिम दिन था। एक सीट पर हो रहे उप चुनाव में किसी अन्य दल के प्रत्याशी का नामांकन न होने से सुधांशु त्रिवेदी का राज्यसभा सदस्य निर्वाचित होना तय माना जा रहा है।
विधानभवन में शुक्रवार को दिन में करीब दो बजे सुधाशु त्रिवेदी ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। उनके नामांकन के समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम डॉ.दिनेश शर्मा, राज्यसभा सदस्य डॉ. अशोक वाजपेयी तथा योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल के कई सहयोगी थे।
भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने गुरुवार को पार्टी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी को उत्तर प्रदेश से राज्यसभा उप चुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित किया। त्रिवेदी ने पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के निधन से रिक्त हुई सीट पर शुक्रवार को नामांकन किया। सुधांशु त्रिवेदी भाजपा विधान मंडल दल कार्यालय से सेंट्रल हाल में नामांकन भरने पहुंचे। अरुण जेटली की रिक्त सीट पर सुधांशु को मौका देकर भाजपा ने जहां ब्राह्मण समीकरण साधे हैं वहीं संगठन को भी महत्व दिया है।
सुधांशु त्रिवेदी लंबे समय से संगठन के लिए कार्य कर रहे हैं। राजनाथ सिंह जब प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तब वह उनके करीब आये और उनके अध्यक्ष बनने पर बतौर सलाहकार उनकी भूमिका चर्चा में रही।
सुधांशु त्रिवेदी ने बाद में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी प्रभावित किया। राज्यसभा की इस खाली सीट के लिए प्रदेश के कई दिग्गज कतार में थे, लेकिन सुधांशु ने सबको पीछे छोड़ते हुए केंद्रीय नेतृत्व का भरोसा हासिल किया है।
लखनऊ के सुधांशु ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी करने के बाद कई विश्वविद्यालयों में अध्यापन कार्य किया है। सुधांशु को सबसे कम उम्र में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के सूचना सलाहकार होने का श्रेय प्राप्त है तो भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के राजनीतिक सलाहकार के तौर पर वह सबसे कम उम्र में किसी भारतीय राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष के सलाहकार भी बन चुके हैं।
सुधांशु त्रिवेदी जहां पार्टी के प्रखर वक्ता के तौर पर नजर आते रहे हैं, वहीं विभिन्न विषयों पर व्याख्यान के लिए देश-विदेश में उन्हें आमंत्रित किया जाता रहा है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में सुधांशु भाजपा की उस चार सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति में शामिल थे, जिस पर प्रचार का जिम्मा था।