कोहरे और स्मॉग के मेल से हवा जहरीली हो गई है। प्रदूषित हवा का सीधा असर लोगों की आंखों और फेफड़ों पर पड़ रहा है।
राजधानी में सर्दियों के साथ वायु प्रदूषण एक बार फिर जानलेवा स्तर पर पहुंच गया है। कोहरे और स्मॉग के मेल से हवा जहरीली हो गई है। प्रदूषित हवा का सीधा असर लोगों की आंखों और फेफड़ों पर पड़ रहा है। हवा में मौजूद धूल, रसायन और खतरनाक पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) आँखों की प्राकृतिक नमी को कम कर रहे हैं, जिससे ड्राई आई सिंड्रोम, एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस, जलन, चुभन, भारीपन और आंखों में रेत जैसा एहसास बढ़ रहा है।
लंबे समय तक प्रदूषित हवा के संपर्क में रहने से कॉर्निया को नुकसान, संक्रमण और दृष्टि संबंधी समस्याओं का खतरा भी बढ़ गया है। दिल्ली के प्रमुख अस्पतालों जैसे एम्स, राम मनोहर लोहिया अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल, गुरु तेग बहादुर अस्पताल और दिल्ली आई सेंटर में नेत्र रोगियों की संख्या में 50 से 60 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई है।
एम्स के नेत्र रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. प्रवीण ने बताया कि हाल के दिनों में सूखी आंखें, जलन और पानी आने की समस्याएं बढ़ी हैं। सफदरजंग, डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पतालों में आंखों से जुड़े मामलों में 15–20% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो गंभीर चिंता का विषय है।
डॉ. अंकित विनायक बताते हैं कि लंबे समय तक प्रदूषित वातावरण में रहने से पलकों के किनारों पर जमा गंदगी मेइबोमियन ग्लैंड्स को बंद कर देती है, जिससे लॉन्ग-टर्म ड्राइनेस की समस्या हो सकती है। हवा में मौजूद रासायनिक तत्व आंखों की सतह पर एलर्जी पैदा करते हैं।
यह लोग हैं सबसे ज्यादा प्रभावित
ट्रैफिक पुलिस, डिलीवरी एजेंट और स्कूली बच्चे जैसे बाहर ज्यादा समय बिताने वाले लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। आंखों में जलन, रेडनेस या ड्राइनेस की जिन्हें शिकायत रहती है, उन्हें लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप्स और जरूरत पड़ने पर एंटी-एलर्जिक ड्रॉप्स का उपयोग नेत्र विशेषज्ञ की सलाह से करना चाहिए। आंखों को बार-बार साफ पानी से धोएं। खुद से कोई दवा लेने से ग्लूकोमा जैसी समस्या हो सकती है।
पुरुषों के फेफड़ों को ज्यादा खतरा
राजधानी की जहरीली हवा महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है। नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं द्वारा नोएडा की एक पर्यावरण कंसल्टेंसी के साथ मिलकर हुए पांच साल के अध्ययन में पाया कि ट्रैफिक में फंसी गाड़ियों में बैठे या फुटपाथ पर चलते समय पुरुषों के फेफड़ों में पीएम2.5 और पीएम10 जैसे खतरनाक प्रदूषक महिलाओं से काफी ज्यादा जमा हो रहे हैं।
दिल्ली में पार्टिकुलेट मैटर का रेस्पिरेटरी डिपोजिशन
एक्सपोजर पैटर्न और स्वास्थ्य जोखिमों का पांच साल का आकलन शीर्षक वाले अध्ययन में 2019 से 2023 तक दिल्ली के 39 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों के डेटा का विश्लेषण हुआ। निष्कर्षों के अनुसार, बैठे रहने पर पुरुषों में पीएम2.5 का फेफड़ों में जमाव महिलाओं से 1.4 गुना और पीएम10 का 1.34 गुना ज्यादा है। चलते समय भी पुरुषों में दोनों प्रदूषकों का जमाव महिलाओं से करीब 1.2 गुना अधिक मिला। शोधकर्ताओं ने बताया कि यह अंतर पुरुषों की सांस लेने की ज्यादा मात्रा और एयरफ्लो रेट से जुड़ा है, जिससे ज्यादा प्रदूषित हवा फेफड़ों में पहुंचती है। अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक मॉडल से गणना में पता चला कि दिल्लीवासियों के फेफड़ों में महीन पार्टिकुलेट मैटर का जमाव राष्ट्रीय मानकों से 10 गुना और विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों से 40 गुना ज्यादा है।
अध्ययन में पाया कि चलने से बैठने की तुलना में फेफड़ों में प्रदूषक दो-तीन गुना ज्यादा जमा होते हैं। सबसे ज्यादा खतरा पैदल यात्रियों और सड़क पर काम करने वालों को है। पीक आवर्स में सुबह की तुलना में पीएम2.5 का जमाव 39% और पीएम10 का 23% अधिक होता है। दिवाली में जमाव दोगुना तक पहुंच जाता है।
राजधानी में कोहरे और स्मॉग के गठजोड़ से हवा हुई और जहरीली
राजधानी में गिरते तापमान के बीच कोहरा और स्मॉग के गठजोड़ के बीच हवा बेहद जहरीली बनी हुई है। कई इलाकों में कम दृश्यता के बीच लोगों को आंख में जलन, सांस के मरीजों को परेशानी हुई। बृहस्पतिवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 373 दर्ज किया गया जो हवा की बेहद खराब श्रेणी है। नोएडा की हवा 397 एक्यूआई के साथ सबसे अधिक प्रदूषित रही। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) का पूर्वानुमान है कि शनिवार तक हवा बेहद खराब श्रेणी में बरकरार रहेगी।
दिल्ली में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए निर्णय सहायता प्रणाली के अनुसार, वाहन से होने वाला प्रदूषण 17.48 फीसदी रहा। पेरिफेरल उद्योग से 8.77, आवासीय इलाकों से 4.27 और निर्माण गतिविधियों से 2.41 फीसदी की भागीदारी रही। सीपीसीबी के अनुसार, बृहस्पतिवार को हवा उत्तर पश्चिम दिशा से 8 किलोमीटर प्रतिघंटे के गति से चली। अनुमानित अधिकतम मिश्रण गहराई 1000 मीटर रही। वेंटिलेशन इंडेक्स 6000 मीटर प्रति वर्ग सेकंड रहा।
दोपहर तीन बजे हवा में पीएम10 की मात्रा 303 और पीएम2.5 की मात्रा 181.5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज की गई। ग्रेटर नोएडा में 344, गाजियाबाद में 339 और गुरुग्राम में 276 एक्यूआई दर्ज किया गया। इसके अलावा, फरीदाबाद की हवा सबसे साफ रही। यहां सूचकांक 239 दर्ज किया गया। यह हवा की खराब श्रेणी है।
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