राजधानी दिल्ली में इन दिनों कड़ाके की सर्दी पड़नी शुरू हो गई है। पारा रोजाना गिरता जा रहा है। इसके चलते दिल्ली में रजाई-गद्दों का बाजार भी गर्म हो रहा है। लोग आकर रजाई, गद्दे, कंबल और शॉल खरीद रहे हैं। इनमें सबसे अधिक मांग जयपुर वाली रजाइयों की है। पुरानी दिल्ली के दुकानदारों का कहना है कि हल्की होने के चलते इस साल अधिकतर लोग जयपुर वाली रजाइयों की मांग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कश्मीरी शॉल और चादरों को भी लोग खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

जामा मस्जिद और दरियागंज में इन दिनों रजाई और गद्दों के बाजार सजे हुए हैं। हर साल की तरह पुरानी दिल्ली में दूरदराज से आकर लोग इनकी खरीदारी कर रहे हैं। जामा मस्जिद के पास रजाई गद्दे बेचने वाले सलीम खान ने कहा कि लोग इन दिनों सर्दी से बचने के लिए इनका प्रयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि इस साल सबसे अधिक जयपुर वाली रजाई की मांग की है, जो जयपुर और दिल्ली में ही बनाई जा रही हैं। खासतौर से पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर और जाफराबाद इलाके में यह रजाई तैयार की जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि जयपुर वाली रजाइयों की कीमत एक हजार रुपये से लेकर चार हजार रुपये तक रखी गई है। दुकानदार कुशाग्र कुमार ने कहा कि केवल रुई वाली रजाई भी लोग खरीद रहे हैं, जिनकी कीमत 500 रुपये से लेकर 800 रुपये तक की रखी गई है।
उन्होंने कहा कि कंबल भी बड़ी संख्या में बेचे जा रहे हैं। राजधानी दिल्ली में बेचे जा रहे कंबल सोनीपत से लाकर बेचे जाते हैं, लेकिन इन दिनों बॉर्डर इलाके सील होने के कारण कंबल दिल्ली तक नहीं पहुंच रहे हैं। हालांकि दुकानदारों के पास पुराना स्टॉक गोदाम में रखा है, जिन्हें वे निकालकर बेच रहे हैं।
कश्मीरी शॉल महिलाओं की पहली पसंद
दिल्ली के खान मार्केट, करोलबाग, चांदनी चौक और जनपथ बाजार में इन दिनों सर्दी बढ़ने के चलते महिलाएं कश्मीरी शॉल भी खूब पसंद कर रही हैं। यह शॉल दिखने में सुंदर दिखने के साथ वजन में हल्की होती है, जिनके चलते महिलाएं व युवतियां ठंड से बचने के लिए इनका प्रयोग कर रही हैं। दुकानदारों का कहना है कि यह बाजार में 900 रुपये से लेकर 3000 रुपये तक में बेचे जा रहे हैं। इसके अलावा महिलाएं भी मफलर का प्रयोग कर रही हैं।
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