रसेल की फिफ्टी भी काम न आई,धोनी की चतुराई भरी रणनीति के आगे कोलकाता के बल्लेबाजों की एक न चली

आईपीएल सीजन 12 का 23वां मैच अब तक के 22 मैचों में सबसे खास था. जिन लोगों की आईपीएल में गहरी नजर थी, वे जानते थे के अब प्वाइंट टेबल में शीर्ष पर जमे रहने के लिए टीम प्रबंधन गणित में उलझ चुके हैं. मंगलवार को होने वाला 23वां मैच इस लिहाज से अहम था. प्वाइंट टेबल की शीर्ष दो टीमें नंबर वन की होड़ में एक दूसरे को पछाड़ने के लिए कमर कस कर मैदान में उतरने वाली थी. चेन्नई चाहती थी वह कोलकाता को टॉप से हटा दे और कोलकाता अपनी टॉप पोजिशन कायम रखना चाहती थी. इस जंग में बाजी जीती चेन्नई ने, लेकिन चेन्नई के कप्तान एमएस धोनी ने फिर से साबित कर दिया कि वे दुनिया के बेहतरीन रणनीतिकार क्यों हैं.

धोनी रहे टॉस के बॉस
चेन्नई की इस पिच पर टॉस जीतना बड़ी भूमिका निभाने वाला था, लेकिन टॉस के बावजूद मुकाबला कांटे का होना तय माना जा रहा था. दोनों ही टीमें इस तगड़े मुकाबले के लिए तैयार थीं. टॉस जब धोनी ने जीता तो उन्होंने बिना देर किए पहले गेंदबाजी करने का फैसला लिया. उन्हें पूरा अंदाजा था कि दूसरी पारी में ओस उनके स्पिन गेंदबाजों की मुश्किलें बढ़ा सकती है.

शुरू से ही दबाव
पहले ओवर में ही दीपक चाहर ने अपने कप्तान की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए टीम को पहली सफलता क्रिस लिन के विकेट के तौर पर दिला दी. क्रिस लिन खाता भी न खोल सके. अगर ओवरथ्रो के चार रन न मिलते तो पहले ओवर में कोलकाता का स्कोर केवल दो रन होता. धोनी को पता था कि सुनील नरेन खुल कर बल्ला चलाएंगे इसके बावजूद धोनी ने हरभजन सिंह पर भरोसा किया और भज्जी ने नरेन को लालच में फांस कर उन्हें कैच आउट करा दिया.

कार्तिक और रॉबी को मिला था मौका
तीसरे ओवर में चाहर ने नितीश राणा को आउट कराकर कोलकाता की मुश्किलें बढ़ा दीं. अब रॉबिन उथप्पा और कप्तान दिनेश कार्तिक के पास पारी को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी थी. चार ओवर के बाद कोलकाता का स्कोर 16 रन था. लग रहा था कि कार्तिक और रॉबी पारी को संभाल ले जाएंगे. पांचवे ओवर में रॉबी ने चाहर को पहली दो गेंदों पर चौके लगा दिए और जता दिया कि वे तो अपना स्वाभाविक खेल ही खेलेंगे.

धोनी की चतुराई ने दबाव बनाया
यहां से धोनी ने माहौल को भांप लिया और चाहर से बिना कुछ कहे फील्ड में बदलाव कर केदार जाधव को डीप मिड विकेट पर लगा दिया. चाहर की गेंद पर एक बार फिर रॉबी ने मिड विकेट के ऊपर से शॉट मार कर चौका बटोरने की कोशिश की, लेकिन गेंद ऊंची उठी और केदार जाधव ने कैच लपकने में कोई गलती नहीं की. इसके बाद भी धोनी के गेंदबाजों ने दबाव बनाए रखा. एक छोर से स्पिनर्स और दूसरे छोर से धोनी ने अपने तेज गेंदबाज स्कॉट कुग्गेलैन को लगाए रखा.

लगातार विकेट गिरते रहे कोलकाता के
चतुराई भरी फील्डिंग और गेंदबाजों की सटीक गेंदबाजी से धोनी कोलकाता के बल्लेबाजों को दबाव में लाने में सफल रहे. 9वें ओवर में इमरान ताहिर ने दिनेश कार्तिक को आउट करा दिया जिसकी वजह से पिछले कुछ मैचों में कोलकाता की सफलता का पर्याय बन चुके आंद्रे रसेल को मैदान में 10 ओवर से पहले ही आना पड़ा क्योंकि अबतक आधी टीम पवेलियन वापस लौट चुकी थी. इसके बाद 11वें ओवर में ताहिर की गेंद पर शुभमन गिल को शानदार स्टंप कर पवेलियन भेज दिया.

रसेल चले तो लेकिन टीम का स्कोर बड़ा न तक सके
आंद्रे रसेल तो अपने अंदाज में खेलने की कोशिश तो कर रहे थे, लेकिन वे खुलकर नहीं खेल पा रहे थे. उनकी कलाई में उन्हें कोई परेशानी लग रही थी. वहीं धोनी की फील्ड प्लेसमेंट और गेंदबाजों ने भी रसेल को बांधने में सफलता पाई. इसकी एक वजह यह भी थी कि रसेल को विकेट भी बचाए रखना था. नतीजा 15 ओवर तक केवल 75 रन बने. इसके बाद पीयूष चावला की स्टम्पिंग और फिर कुलदीप यादव के रन आउट ने रसेल पर दबाव बढ़ा दिया. 17वे ओवर में प्रसिद्ध कृष्णा के रआउट होने पर रसेल को बड़े शॉट्स पर निर्भर रहना पड़ा लेकिन उन्होंने अंत तक पारी को खेला और टीम के 100 रन पूरे करने के साथ ही अपनी हाफ सेंचुरी भी पूरी की.

Andre Russell vs CSK

छोटा स्कोर बचाना कोलकाता के गेंदबाजों के लिए नामुमकिन
धोनी की कुशल रणनीति और गेंदबाजों से उनका सर्वश्रेष्ठ निकलवाने के अंदाज ने चेन्नई को जीत के लिए 109 रनों का लक्ष्य दे दिया. कोलकाता के गेंदबाजों ने भी बहुत जोर लगाया, लेकिन लक्ष्य छोटा होने के कारण वे टीम को हार से बचा नहीं सके, जबकि चेन्नई को 108 रन पार करने में 17.2 ओवर खेलने पड़े. धोनी जानते थे कि रसेल का दबाव चेन्नई के गेंदबाजों को मुश्किल में डाल सकता है, इसलिए उन्होंने बाकी बल्लेबाजों पर दबाव बनाया जिसकी वजह से रसेल अकेले पड़ गए और धोनी को जीत मिल गई जो उन्हें चाहिए थी.

इस जीत से चेन्नई अंक तालिका में टॉप पर पहुंच गई. अब उसका नेट रनरेट +0.310 हो गया है. चेन्नई नेट रन रेट में हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई से पीछे है, लेकिन नेट रनरेट में अभी काफी उतार चढ़ाव होने हैं. इस मैच को देखने आए कोलकाता टीम के मालिक मैच के दौरान अपनी टीम को शुरू से ही बैकफुट पर देखते रहे. जबकि उन्होंने अपनी टीम की हौसला अफजाई में कोई कसर नहीं छोड़ी.

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