1994 में हुए रवांडा नरसंहार में मारे गए लगभग 85,000 लोगों के अवशेषों को शनिवार को यहां दफना दिया गया। नरसंहार 100 दिनों तक चला था, जिसमें 84,437 लोगों की हत्या कर दी गई थी। मरने वालों में अधिकांश तुत्सी अल्पसंख्यक समुदाय के थे, जिन्हें हुतू चरमपंथियों ने मौत के घाट उतार दिया था।
रवांडा में प्रत्येक साल सात अप्रैल से 100 दिनों तक शोक रखा जाता है। सात अप्रैल को ही नरसंहार की शुरुआत हुई थी। इस साल रवांडा नरसंहार के 25 साल हो गए। शोक समारोह के दौरान न्याय मंत्री जान्सटन बूसिंग ने कहा कि इस नरसंहार की जिम्मेदारी रवांडा के प्रत्येक नागरिक को लेनी चाहिए। दफनाए गए लोगों में से एक के परिजन एमानुएल नुडवेज़ु ने कहा कि अब मैं बहुत खुश हूं, क्योंकि मैंने अपने पिता, बहन और उनके बच्चों को दफना दिया है। 25 साल बीत गए थे, लेकिन मुझे नहीं पता था कि वे कहां हैं। अब मुझे शांति मिली है। दरअसल, पिछले साल की शुरुआत में किगाली के बाहर अवशेषों से भरे 143 गड्ढे मिले थे। जिसके बाद इन्हें दफनाने की प्रक्रिया शुरू की गई।