पहले के सभी प्रयास असफल होने के बाद आइटीओ के जाम को दूर करने के लिए अब नए सिरे से प्रयास शुरू हो गए हैं। अब आइटीओ पर आने वाले यातायात को विभाजित करने की रणनीति अपनाई जाएगी। इसके लिए यहां पहुंचने वाले वाहनों की श्रेणी और उनकी संख्या का अध्ययन किया जाएगा। जिसके आधार पर यह किया जाएगा कि किस- किस तरह के वाहनों को आइटीओ पर आने की अनुमति दी जाए।
अभी तक की योजना के अनुसार, आइटीओ पर पहुंचने वाले बड़े वाहनों को रिंग रोड पर मोड़ा जाएगा। इसके लिए बसों के रूट में भी बदलाव किया जाएगा। बहरहाल इस पूरे मामले पर अध्ययन करने के लिए केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआइ) को जिम्मेदारी दी गई है।
आइटीओ क्षेत्र को जाम मुक्त किए जाने की योजना के तहत आइटीओ व इसके आसपास लगभग 4 से 5 किमी व्यास क्षेत्र में यातायात प्रकृति (वाहनों की संख्या व श्रेणी आदि) को समझने के लिए गहन अध्ययन किया जाएगा। इसका प्लान तैयार करने की जिम्मेदारी सीआरआरआइ को दी गई है।
सीआरआरआइ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एस वेलमुरुगन ने शनिवार को यातायात पुलिस, लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों व गुरु हनुमान सोसायटी ऑफ इंडिया के पदाधिकारियों को साथ लेकर आइटीओ के जाम वाले क्षेत्र का निरीक्षण किया।
15 साल से जारी है प्रयास
आइटीओ क्षेत्र में जाम की समस्या दूर करने के लिए करीब पिछले 15 साल से प्रयास चल रहे हैं। मगर इस प्रयास में सफलता नहीं मिली है। इस प्रयास को उस समय झटका लगा था जब 2012-13 में लाला रामचरण अग्रवाल चौक पर बनने वाले फ्लाईओवर की योजना दिल्ली अर्बन आर्ट कमीशन ने इसलिए रद कर दी थी क्योंकि योजना में पैदल चलने वाले लोगों के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए थे। दोबारा से योजना के लिए प्रयास शुरू होते तब तक आइटीओ से भूमिगत मेट्रो लाइन के गुजरने की योजना आ गई थी। तब यहां फ्लाईओवर बनाने की योजना की संभावना सदैव के लिए समाप्त हो गई। उसके बाद से आइटीओ के जाम को दूर करने के लिए बातें तो हुई हैं मगर कोई ठोस योजना लागू नहीं हो सकी है। अब इस बारे में ठोस योजना की पहल शुरू हुई है। बहरहाल सीआरआरआइ की रिपोर्ट के बाद ही इस बारे में काम शुरू हो सकेगा।
गौरतलब है कि लाला रामचरण अग्रवाल चौक (आइटीओ) की गिनती दिल्ली के व्यस्ततम चौराहों में होती है। पूर्वी दिल्ली, पुरानी दिल्ली व नई दिल्ली को जोड़ने वाले इस चौराहे से प्रतिदिन हजारों वाहनों की आवाजाही होती है।