योग विश्व इतिहास का सबसे पुराना विज्ञान है, जिसने व्यक्ति के अध्यात्मिक और शारीरिक क्रियाकलापों के लिए नए द्वार खोले. योग का जन्म कब हुआ? वेदों एवं जैन ग्रंथों में योग का वर्णन मिलता है लेकिन फिर भी योग इससे पहले भी विद्यमान था, भले ही वो किसी ग्रंथो में न लिखा गया हो क्योंकि ऋषि परम्परा के कारण योग का ज्ञान मौखिक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहा होगा.
योग शब्द का शाब्दिक अर्थ- जुड़ना या मिलना होता है लेकिन यह बहुत विस्तृत विज्ञान है क्योंकि इसके सभी कर्म और क्रियाएँ मनुष्य को शारीरिक और आत्मिक रूप से पूर्ण योगी बनाती है.
पतंजलि के अनुसार योग की परिभाषा है-“योगश्चित्तवृतिनिरोध:” अर्थात पतंजलि के अनुसार चित की वृतियों का निरोध ही योग कहलाता है.” वेदांत के अनुसार, “आत्मा का परमात्मा से पूर्ण रूप से मिलन होना ही योग कहलाता है.”
योग की महत्ता को UN ने भी माना
वह एक ऐतिहासिक क्षण था. 11 दिसंबर 2014 – यूनाइटेड नैशंस की आम सभा ने भारत द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में घोषित कर दिया. इस प्रस्ताव का समर्थन 193 में से 175 देशों ने किया और बिना किसी वोटिंग के इसे स्वीकार कर लिया गया.
यूएन ने योग की महत्ता को स्वीकारते हुए माना कि योग मानव स्वास्थ्य व कल्याण की दिशा में एक संपूर्ण नजरिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 14 सिंतबर 2014 को पहली बार पेश किया गया यह प्रस्ताव तीन महीने से भी कम समय में यूएन की महासभा में पास हो गया.
90 दिनों के भीतर ही पास हो गया योग दिवस का प्रस्ताव
भारतीय राजदूत अशोक मुखर्जी ने ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ का प्रस्ताव यूएन असेंबली में रखा था, जिसे दुनिया के 175 देशों ने भी सह-प्रस्तावित किया था. यूएन जनरल असेंबली में किसी भी प्रस्ताव को इतनी बड़ी संख्या में मिला समर्थन भी अपने आप में एक रिकॉर्ड बन गया. इससे पहले किसी भी प्रस्ताव को इतने बड़े पैमाने पर इतने देशों का समर्थन नहीं मिला था. और यह भी पहली बार हुआ था कि किसी देश ने यूएन असेंबली में कोई इस तरह की पहल सिर्फ 90 दिनों के भीतर पास हो गयी हो. यह भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है.
21 जून को ही क्यों?
21 जून को ही अंतरराष्ट्रीय योग दिवस बनाए जाने के पीछे वजह है कि इस दिन ग्रीष्म संक्रांति होती है. इस दिन सूर्य धरती की दृष्टि से उत्तर से दक्षिण की ओर चलना शुरू करता है. यानी सूर्य जो अब तक उत्तरी गोलार्ध के सामने था, अब दक्षिणी गोलार्ध की तरफ बढ़ना शुरू हो जाता है. योग के नजरिए से यह समय संक्रमण काल होता है, यानी रूपांतरण के लिए बेहतर समय होता है.
सद्गुरु के अनुसार – ग्रीष्म संक्राति के दिन अपने ध्यान से उठने के बाद आदियोगी दक्षिण की ओर घूमे, जहां उनकी सबसे पहली नजर सप्त ऋषियों पर पड़ी. ये सात ऋषि उनके पहले सात शिष्य थे, जो योग विज्ञान को दुनिया के हर कोने में ले गए. यह बेहद खुशी की बात है कि 21 जून मानवता के इतिहास में उस महान घटना का प्रतीक बन गया. योगिक कथाओं के अनुसार योग का पहला प्रसार शिव द्वारा उनके सात शिष्यों के बीच किया गया. कहते हैं कि इन सप्त ऋषियों को ग्रीष्म संक्राति के बाद आने वाली पहली पूर्णिमा के दिन योग की दीक्षा दी गई थी, जिसे शिव के अवतरण के तौर पर भी मनाते हैं. इस दौर को दक्षिणायन के नाम से जाना जाता है. इस दौरान आध्यात्मिक साधना करने वाले लोगों को प्रकृति की तरफ से स्वत: सहयोग मिलता है.