उत्तर प्रदेश में सरकार इन दिनों माफिया और बदमाशों के खिलाफ कार्रवाई के लिए ऑपरेशन क्लीन चला रही है. कानपुर के गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद अब शासन और प्रशासन का ध्यान अन्य माफियाओं के सफाए पर है. यूपी के पूर्वांचल में मऊ सदर विधानसभा क्षेत्र से विधायक मुख्तार अंसारी पर भी अब प्रशासन का शिकंजा कसता जा रहा है.
जेल में बंद मुख्तार अंसारी और उनके गैंग की ओर से कब्जाई गई जमीन से कब्जा हटवाने का अभियान तेज हो गया है. वहीं, अब गाजीपुर जिला प्रशासन ने मुख्तार अंसारी के तीन सहयोगियों और रिश्तेदारों के शस्त्र लाइसेंस निलंबित कर दिए हैं. मुख्तार अंसारी के जिन करीबियों के शस्त्र लाइसेंस निलंबित किए गए हैं, उनके शस्त्र थाने में जमा करा लिए गए हैं.
जानकारी के मुताबिक गाजीपुर के जिलाधिकारी ने मुख्तार अंसारी गैंग से जुड़े 3 सहयोगियों और रिश्तेदारों के शस्त्र लाइसेंस निरस्त कर दिए.
जिलाधिकारी ने यह कार्रवाई गाजीपुर थाना कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक की ओर से 8 जुलाई को भेजी गई उस रिपोर्ट के आधार पर की, जिसमें शस्त्र और कारतूस के भौतिक सत्यापन में अनियमितता का उल्लेख किया गया था.
कोतवाली थाने के प्रभारी निरीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी ने गाजीपुर के मीर अशरफ अली मोहल्ला निवासी मोहम्मद सालिम पुत्र स्वर्गीय मोहम्मद हाकिम, बरबहना निवासी नूरुद्दीन आरिफ पुत्र स्वर्गीय मोहम्मद नसरुद्दीन और गाजीपुर कोतवाली क्षेत्र के ही सैयदवाड़ा निवासी मसूद आलम पुत्र स्वर्गीय इनामुल हक के शस्त्र लाइसेंस निलंबित कर दिए.
इनमें सालिम और नूरुद्दीन मुख्तार अंसारी के रिश्तेदार बताए जाते हैं. वहीं मसूद आलम, मुख्तार अंसारी गैंग का सहयोगी बताया जाता है. जानकारी के मुताबिक नूरुद्दीन आरिफ और मसूद आलम के शस्त्र पुलिस ने नियमों के अनुसार थाने के माल खाने में जमा करा लिया है. वहीं, मोहम्मद सालीम का शस्त्र जमा कराने की प्रक्रिया जारी है.
गौरतलब है कि पूर्वांचल के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में अच्छा रसूख रखने वाले मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी इस समय गाजीपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं.
अफजाल ने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में रेल राज्य मंत्री रहे मनोज सिन्हा को हराया था. मुख्तार अंसारी अभी जेल में बंद हैं. पिछले एक सप्ताह के दौरान ही प्रशासन ने मुख्तार की लगभग 50 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है.