योगी राज में माफिया डॉन मुख्तार अंसारी का नया पता उत्तर प्रदेश की जेल

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद ही सही, लेकिन अब माफिया डॉन मुख्तार अंसारी का नया पता उत्तर प्रदेश की जेल होगी. लेकिन मुख्तार अंसारी के लिए ना तो यूपी की जेल नई है और ना ही उसके अपराधिक मंसूबों को पूरा होने में जेल की चारदीवारी रोड़ा है. यही वजह है कि जिस मुख्तार अंसारी पर कभी चार दर्जन से ज्यादा मुकदमे दर्ज थे. जिसके ऊपर भाजपा विधायक कृष्णानंद राय से लेकर जेल अधीक्षक आरके तिवारी की हत्या कराने का आरोप लगा. वो मुख्तार अंसारी ऐसे तमाम हत्याकांड में या तो बरी है या फिर उसके खिलाफ पुलिस को जांच में सबूत इकट्ठा करने में पसीने आ रहे हैं.

पहले उन हत्याकांड पर नजर डाल लीजिए जिसमें आरोप लगा कि वारदात में या तो मुख्तार अंसारी खुद शामिल था या फिर उसने साजिश रचकर वारदात को अंजाम दिया.

वाराणसी के भेलूपुर इलाके में पूर्वांचल के सबसे बड़े कोयला व्यापारी और विश्व हिंदू परिषद के कोषाध्यक्ष नंदकिशोर रुंगटा हत्याकांड हुआ. इस सनसनीखेज हत्याकांड में आरोप लगा कि करोडों की फिरौती लेने के लिए मुख्तार ने अपहरण करवाया और फिर हत्या करवाई. मामले की जांच सीबीआई से तक हुई. सीबीआई ने मुख्तार गैंग के शार्प शूटर अताउर रहमान बाबू और शहाबुद्दीन पर 2-2 लाख का इनाम तक घोषित किया, लेकिन मुख्तार अंसारी बरी हो गया.

राजधानी लखनऊ के हजरतगंज थाना क्षेत्र में राजभवन के सामने लखनऊ के जेल अधीक्षक आरके तिवारी की उस वक्त गोली मारकर हत्या कर दी गई जब वो लखनऊ के डीएम के साथ मीटिंग कर लौट रहे थे. राजभवन के सामने हुए इस हत्याकांड में भी मुख्तार के करीबियों का ही नाम आया, लेकिन मुख्तार अंसारी इस हत्याकांड में भी बरी हो गया.

बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई. इसमें विधायक समेत 7 लोग मारे गए. हत्याकांड में मुन्ना बजरंगी, राकेश पांडे, संजीव जीवा माहेश्वरी समेत तमाम लोगों के नाम आए. मामले की जांच सीबीआई से तक हुई, लेकिन 7 शवो से 67 गोलियां और मौके से 400 से ज्यादा खोखे बरामद होने के बावजूद कोई दोषी नहीं मिला और मुख्तार अंसारी बरी हो गया.

इतना ही नहीं साल 2003 में लखनऊ के जेलर एसके अवस्थी ने जेल में मारपीट गाली-गलौज और पिस्तौल तानने के मामले में आलमबाग थाने में एफआईआर करवाई लेकिन मुख्तार अंसारी बरी हो गया. 1999 में डीआईजी जेल एसपी सिंह पुंडीर ने लखनऊ के कृष्णानगर कोतवाली में मुख्तार अंसारी पर धमकी देने का केस लिखाया, लेकिन उसमें भी बरी हो गया.

यानी मामला विधायक की हत्या से लेकर अफसर की हत्या तक का दर्ज हुआ. देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई ने तक की, लेकिन मुख्तार अंसारी के शातिर दिमाग और फुलप्रूफ प्लान के चलते उस पर आरोप साबित नहीं हो पाए. और जिस मुख्तार अंसारी पर कभी 46 मुकदमे दर्ज थे, आज उस पर 10 मुकदमे रह गए हैं.

लेकिन ऐसा नहीं है कि मुख्तार अंसारी की मुश्किलें खत्म हो गई हैं. इन 10 मुकदमों में गाजीपुर के 5, वाराणसी के 2, आजमगढ़ का 1 और 2 केस मऊ के हैं. इन 10 मुकदमों में चार मामले गैंगस्टर से जुड़े हैं जिसमें तीन गैंगस्टर के मामले गाजीपुर से एक मामला मऊ का है.

3 अगस्त 1991 को वाराणसी के चेतगंज में कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय राय के भाई अवधेश राय की हत्या का मामला मुख्तार अंसारी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है. इस मामले में अजय राय की तरफ से मुख्तार अंसारी, भीम सिंह, कमलेश, अब्दुल कलाम को नामजद किया गया था. अजय राय खुद वादी मुकदमा है, लिहाजा वो खुद इस मामले की पैरवी कर रहे हैं. गवाही पूरी हो चुकी है. बस मामले की कार्रवाई अंतिम दौर में है.

दूसरा मामला है मऊ का 2009 में हुआ तिहरा हत्याकांड. जिसमें जिले के सबसे बड़े ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना सिंह को बाइक सवार बदमाशों ने एके-47 से छलनी कर मौत के घाट उतार दिया था. मुन्ना सिंह हत्याकांड के चश्मदीद गवाह उसके मुनीम और गनर सतीश की भी एक साल के अंदर ही गोली मारकर हत्या कर दी गई. मुन्ना सिंह हत्याकांड के बाद हुए इस दोहरे हत्याकांड में भी मामला ट्रायल पर है और मुख्तार अंसारी पर अदालत को फैसला करना बाकी है.

इन दो मामलों के अलावा आजमगढ़ का तरवा हत्याकांड का भी आरोप मुख्तार अंसारी पर लगा है, लेकिन अभी तक मुख्तार अंसारी पर आरोप तय नहीं हो पाए हैं. गाजीपुर के मोहमदाबाद में हुई हत्या की कोशिश के मामले में भी मुख्तार अंसारी पर साजिश रचने का आरोप लगा है. मुख्य आरोपी सोनू यादव बरी हो गया है. सुनवाई फिलहाल ठप्प है. मुख्तार अंसारी पर फैसला होना बाकी है. एक मामला वाराणसी के भेलूपुर थाने का है जिसमें मुख्तार अंसारी पर जान से मारने की धमकी का आरोप लगाया गया लेकिन अभी तक आरोप तय नहीं हो पाएं हैं.

मुख्तार के तमाम सनसनीखेज हत्याकांड में बरी होने के पीछे पूर्व डीजीपी बृजलाल कहते हैं कि मुख्तार अंसारी बहुत शातिर दिमाग प्लानर है. अमूमन वो खुद किसी हत्याकांड को अंजाम नहीं देता, बल्कि अपने करीबियों से वारदात को अंजाम दिलवाता है. मामला ट्रायल में जाने पर गवाहों की हत्या, गवाहों को खरीदने, डराने-धमकाने के तमाम हथकंडे के सहारे ही अदालत से सजा नहीं हो पाती. जिसका जीता जागता उदाहरण बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड और जेल अधीक्षक आरके तिवारी हत्याकांड है. इन दोनों ही वारदातों के बाद मुख्तार अंसारी जेल में था.

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